सर्दियों में कम पानी पीने से क्‍या होता है? दिमाग, किडनी और पाचन तंत्र को होते हैं ये 5 बड़ा नुकसान! अभी से ये आदतें बदलें

एक रिसर्च (Medicine Journal) के मुताबिक, जो लोग 500 मिलीलीटर से कम पानी पीते हैं, उनके यूरिन (Urine) में गाढ़ापन, किडनी के फिल्टर होने की क्षमता में कमी और लंबे समय तक किडनी की समस्याओं के शुरुआती लक्षण दिखने लगते हैं.

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Less water intake in winter side effects: ठंड का मौसम आते ही हमारी प्यास अक्सर गायब हो जाती है. शरीर में गर्मी कम होने के कारण हमें प्यास लगने का संकेत (Thirst Signals) कम मिलता है. यही वजह है कि हममें से कई लोग दिन भर में ज़रूरत से बहुत कम पानी पीते हैं. अगर आप लगातार दिन भर में 500 मिलीलीटर से भी कम पानी पी रहे हैं, तो आप अपने शरीर को छुपे हुए तनाव (Hidden Strain) में डाल रहे हैं. यह सिर्फ़ प्यास बुझाने का मामला नहीं है, बल्कि यह आपकी किडनी के काम करने से लेकर आपके दिमाग की तेज़ी तक, हर चीज़ पर बुरा असर डालता है.

एक रिसर्च (Medicine Journal) के मुताबिक, जो लोग 500 मिलीलीटर से कम पानी पीते हैं, उनके यूरिन (Urine) में गाढ़ापन, किडनी के फिल्टर होने की क्षमता में कमी और लंबे समय तक किडनी की समस्याओं के शुरुआती लक्षण दिखने लगते हैं.

आइये जानते हैं कि सर्दियों में पानी कम पीने से आपके शरीर के 5 अहम हिस्सों को कैसे और कितना बड़ा नुकसान पहुँचता है:

Drinking Less Water In Winter: सर्दियों में कम पानी पीने के नुकसान

1. किडनी (Kidneys) पर असर: फिल्टर करने की क्षमता धीमी

किडनी का काम है खून को साफ करके गंदगी बाहर निकालना, और इस काम के लिए उन्हें लगातार पानी की ज़रूरत होती है.

बचाव मोड: जब पानी की मात्रा बहुत कम हो जाती है, तो किडनी पानी बचाने के मोड (Conservation Mode) में चली जाती है. वे यूरिन (पेशाब) बनाना कम कर देती हैं, जिससे पेशाब ज़्यादा गाढ़ा और गहरे रंग का आने लगता है.

हार्मोन का बढ़ना: शरीर वेसोप्रेसिन (Vasopressin) नामक हार्मोन को बढ़ा देता है. यह हार्मोन किडनी को संकेत देता है कि पानी बचाओ, जो पुराने डिहाइड्रेशन (Chronic Internal Dehydration) का संकेत है.

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पथरी का खतरा: कम पानी के कारण मिनरल्स (Mineral deposits) आसानी से जम जाते हैं, जिससे किडनी स्टोन (पथरी) बनने की संभावना बढ़ जाती है.

फिल्ट्रेशन धीमा: अगर फिल्ट्रेशन धीमा हो जाता है, तो यूरिन में एल्बुमिन (Albumin) नामक प्रोटीन दिखाई दे सकता है. ये सभी बदलाव मिलकर लंबे समय में किडनी पर तनाव बढ़ाते हैं, भले ही आपको अभी कोई दर्द महसूस न हो रहा हो.

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2. दिमाग (Brain) पर असर: फोकस और मूड ख़राब

शरीर में पानी कम होने से खून की मात्रा (Blood Volume) थोड़ी कम हो जाती है.

  • ऑक्सीजन की कमी: दिल को सर्कुलेशन बनाए रखने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है. नतीजा यह होता है कि दिमाग तक कम ऑक्सीजन वाला खून पहुँचता है. इससे आपकी एकाग्रता (Focus) में कमी आती है और चीज़ों को समझने की रफ्तार धीमी हो जाती है.
  • सिरदर्द और चिड़चिड़ापन: आपको दिन भर सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और कम प्रेरणा (Low Motivation) महसूस हो सकती है.
  • गलत पहचान: लोग अक्सर इन लक्षणों को थकान या तनाव समझ लेते हैं, जबकि ये अक्सर पानी की कमी के कारण होते हैं- भले ही आपको ज़ोरदार प्यास (Strong Thirst) न लगी हो.

3. मांसपेशियां (Muscles) और ऊर्जा (Energy) पर असर: जल्दी थकान

डिहाइड्रेशन का सीधा असर आपकी मांसपेशियों और नसों (Nerves) पर पड़ता है, जिससे वे जल्दी थकने लगती हैं.

स्टेमिना की कमी: रोज़मर्रा के काम, जैसे सीढ़ियाँ चढ़ना या थोड़ी दूर चलना भी थका देने वाला लग सकता है.

कमज़ोर स्टेमिना: लगातार कम पानी पीने से आपकी शारीरिक शक्ति (Physical Stamina) कमज़ोर होती जाती है और थकान होने की संभावना बढ़ जाती है.

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4. पाचन (Digestion) तंत्र पर असर: धीमी गति और हॉर्मोनल गड़बड़ी

पानी हर स्तर पर पाचन क्रिया को सपोर्ट करता है.

कब्ज और सूजन: पानी की कम मात्रा से पेट की चाल धीमी हो जाती है, जिससे कब्ज (Constipation) और पेट फूलने (Bloating) की समस्या बढ़ जाती है.

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पाचन में रुकावट: लार (Saliva) का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे शुरुआती पाचन कम कुशल हो जाता है.

भूख का भ्रम: वेसोप्रेसिन हार्मोन (जो पानी बचाता है) के बढ़ने से ग्लूकोज (Glucose) का नियंत्रण भी प्रभावित होता है. दिमाग प्यास और भूख के संकेतों को आपस में मिला सकता है, जिससे आपको असामान्य रूप से ज़्यादा भूख लगने का भ्रम हो सकता है.

5. लंबे समय का नुकसान: पुरानी बीमारियों का खतरा

भले ही लक्षण हल्के लगें, लेकिन लगातार डिहाइड्रेशन समय के साथ शरीर के अंदरूनी स्वास्थ्य चिह्नों (Internal Markers) में बदलाव दिखाता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि लगातार गाढ़ा यूरिन, एल्बुमिन की ज़्यादा उपस्थिति, फिल्टर होने की कमज़ोर क्षमता और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की शक्ति में कमी आती है.

ये लक्षण लंबे समय तक किडनी पर तनाव का संकेत देते हैं, और अगर पानी पीना नहीं सुधारा जाता है, तो यह धीरे-धीरे पुरानी किडनी रोग (Chronic Kidney Disease) की ओर ले जा सकता है.

तुरंत शुरू करें ये आसान आदतें!

500 मिलीलीटर से कम पानी पीने से होने वाले इस धीमे नुकसान से बचने के लिए, ये आसान बदलाव ज़रूर करें:

  • सुबह की शुरुआत: जागने के तुरंत बाद एक गिलास पानी पीकर शुरुआत करें.
  • पास रखें: काम करते समय या यात्रा के दौरान पानी की बोतल हमेशा पहुँच में रखें.
  • खाने के साथ: खाने के साथ मीठे या कैफीन वाले ड्रिंक्स के बजाय पानी पिएं.
  • स्वाद जोड़ें: पानी में थोड़ा नींबू या फल की स्लाइस डालकर उसका स्वाद बेहतर बनाएं.
  • इंतजार न करें: प्यास लगने का इंतज़ार न करें, बल्कि नियमित अंतराल पर घूंट-घूंट पानी पीते रहें.
  • बढ़ाएं: अगर आप ज़्यादा गर्मी में हैं, कसरत कर रहे हैं या लंबे समय तक अंदर (Indoor) हैं, तो पानी की मात्रा बढ़ा दें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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