दादी-नानी के नुस्खे: आज के समय में किसी भी समस्या के लिए दवाएं आसानी से मिल जाती है. अस्पताल से लेकर के मेडिकल स्टोर तक की दुकानें रातभर खुली रहती हैं. जो हमारी जिंदगी को बेहद आसान भी बनाता है. लेकिन पुराने समय की बात करें तो ऐसा नहीं था. तब ना तो डॉक्टर, ना ही अस्पताल और ना ही दवाखानें रात भर खुले रहते थे. ऐसे में कई समस्याओं में दादी-नानी के नुस्खे काम आते थे. दादी-नानी के नु्स्खे सदियों से घरों में छोटे बच्चों की सेहत का सहारा रहे हैं. जब बात छोटे बच्चों में उल्टी-दस्त की आती है, तो पुराने समय में दवाओं से पहले नेचुरल तरीकों पर भरोसा किया जाता था. ऐसा ही एक असरदार घरेलू नुस्खा है पके हुए अनार के फल का रस.
कैसे होता था इस्तेमाल
बता दें कि अनार को आयुर्वेद में पाचन के लिए बेहद लाभदायी बताया गया है. पुराने समय में जब बच्चे को उल्टी या दस्त की समस्या होती थी और बच्चा कुछ खा-पी नहीं पाता था और शरीर कमजोर होने लगता था तो ऐसे में पके हुए अनार का जूस बेहद काम आता था. इसके लिए मीठे और पूरी तरह पके अनार को लेकर उसका फ्रेश जूस निकाला जाता था. फिर इस रस को हल्का कुनकुना करके बच्चे को सुबह, दोपहर और शाम के समय 1-2 चम्मच पिलाया जाता था.
अनार के रस के फायदे
इस नुस्खे का फायदा यह है कि अनार का रस पेट को ठंडक देने के साथ ही आंतों को मजबूत बनाने में मदद करता था. इसके साथ ही ये शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में भी असरदायी था. दादी-नानी के अनुसार, यह उपाय उल्टी को धीरे-धीरे रोकने के साथ ही दस्त की समस्या में भी राहत देता था. अनार में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व पाचन तंत्र को संतुलित करने का काम करते हैं, जिससे बच्चे को जल्दी आराम मिलता है.
इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप भी अपने बच्चे की इस समस्या को दूर करने के लिए अनार का जूस दे रहे हैं तो ध्यान रखें कि जूस हमेशा फ्रेश रहे और सीमित मात्रा में ही दिया जाए. अगर उल्टी-दस्त ज्यादा हों, बुखार हो या बच्चा बहुत सुस्त लग रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














