पणजी:
फिल्मकार अनुराग बासु को लगता है कि फिल्में निर्देशक की सोच को दर्शाती हैं और उनके अनुसार रोहित शेट्टी जैसा कोई निर्देशक पिछले साल आई 'क्वीन' जैसी महिला केंद्रित फिल्म नहीं बना सकता।
'बर्फी' फिल्म के निर्देशक ने यहां चल रहे एनएफडीसी फिल्म बाजार में 'फिमेल प्रोटैगनिस्ट इन बॉलीवुड टुडे - हाउ रियल इज दि डिसकोर्स' विषय पर आयोजित एक सत्र में कहा कि कोई निर्देशक अपनी फिल्मों में जिस तरह महिलाओं को दिखाता है उससे अकसर महिलाओं के प्रति उसकी सोच का पता चलता है।
बासु ने कहा, 'अभिनेताओं और निर्देशकों का व्यक्तित्व उनके काम का परिचायक होता है। आनंद (एल राय) 'तनु वेड्स मनु' बना सकते हैं, विकास (बहल) 'क्वीन' बना सकते हैं। लेकिन रोहित शेट्टी जैसा निर्देशक 'क्वीन' नहीं बना सकता। आप जिस तरह के इंसान हैं और जिस तरह महिलाओं को देखते हैं, यह उस पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर सलमान जो डायलॉग बोलते हैं, वह शाहरुख कभी नहीं बोल सकते।' उन्होंने कहा कि कुछ महिला केंद्रित फिल्मों को देखकर यह नहीं सोचना चाहिए कि बॉलीवुड में पूरी तरह एक बदलाव आ गया है।
बासु ने कहा, 'आपको केवल दो या तीन फिल्मों से बदलाव को नहीं आंकना चाहिए। आपको आने वाले सालों में देखना होगा कि हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं, लोग इसे कैसे ले रहे हैं और (इस तरह की) कितनी फिल्में बन रही हैं।'
'बर्फी' फिल्म के निर्देशक ने यहां चल रहे एनएफडीसी फिल्म बाजार में 'फिमेल प्रोटैगनिस्ट इन बॉलीवुड टुडे - हाउ रियल इज दि डिसकोर्स' विषय पर आयोजित एक सत्र में कहा कि कोई निर्देशक अपनी फिल्मों में जिस तरह महिलाओं को दिखाता है उससे अकसर महिलाओं के प्रति उसकी सोच का पता चलता है।
बासु ने कहा, 'अभिनेताओं और निर्देशकों का व्यक्तित्व उनके काम का परिचायक होता है। आनंद (एल राय) 'तनु वेड्स मनु' बना सकते हैं, विकास (बहल) 'क्वीन' बना सकते हैं। लेकिन रोहित शेट्टी जैसा निर्देशक 'क्वीन' नहीं बना सकता। आप जिस तरह के इंसान हैं और जिस तरह महिलाओं को देखते हैं, यह उस पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर सलमान जो डायलॉग बोलते हैं, वह शाहरुख कभी नहीं बोल सकते।' उन्होंने कहा कि कुछ महिला केंद्रित फिल्मों को देखकर यह नहीं सोचना चाहिए कि बॉलीवुड में पूरी तरह एक बदलाव आ गया है।
बासु ने कहा, 'आपको केवल दो या तीन फिल्मों से बदलाव को नहीं आंकना चाहिए। आपको आने वाले सालों में देखना होगा कि हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं, लोग इसे कैसे ले रहे हैं और (इस तरह की) कितनी फिल्में बन रही हैं।'
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