फिल्म रिव्यू : कहानी ठीक, लेकिन अभिनय ज़रूरत से ज़्यादा लाउड है 'डायरेक्ट इश्क' में

फिल्म रिव्यू : कहानी ठीक, लेकिन अभिनय ज़रूरत से ज़्यादा लाउड है 'डायरेक्ट इश्क' में

मुंबई:

'डायरेक्ट इश्क' बनारस की एक महत्वाकांक्षी लड़की डॉली पाण्डे की कहानी है, जिसके दीवाने शहर की हर गली में मिल जाएंगे... वह बनारस की रॉकस्टार है, टॉमब्वॉय भी है, जो बदतमीज़ी करने वाले लड़कों की धुलाई कर डालती है...

डॉली की कहानी होने के साथ-साथ 'डायरेक्ट इश्क' एक त्रिकोणीय प्रेमकहानी भी है, जिसमें एक लड़का कबीर बाजपेयी डॉली को देश की बड़ी रॉकस्टार बनाना चाहता है, और दूसरा लड़का, यानी बनारस का युवा छात्र नेता विक्की पाण्डे भी डॉली से ही प्रेम कर बैठता है...

अगर फिल्म की अच्छाइयों के बारे में बात करें, तो इसमें कुछ नयापन है ही नहीं, हालांकि कुछ दृश्य और संवाद ठीक-ठाक हैं। फिल्म की शुरुआत अच्छी है, जहां बनारस के कुछ रंग देखने को मिलते हैं।

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असल में फिल्म की कहानी या पटकथा उतना निराश नहीं करती, जितना कलाकारों का अभिनय करता है... हर एक ने बेहद लाउड एक्टिंग की है, और ऐसा लगता रहा, जैसे सभी ज़बर्दस्ती अपने-अपने किरदार में घुसने की कोशिश कर रहे हैं... यही वजह है कि फिल्म कहीं भी दिल को नहीं छूती और मुझे लगता है कि यह निर्देशक राजीव रुइया की नाकामी है, इसलिए 'डायरेक्ट इश्क' के लिए मेरी रेटिंग है, 1.5 स्टार...