उत्तराखंड के हल्द्वानी में बेघर हो जाने के संकट से घिरे 4000 परिवार, क्या है मामला? जानें 10 प्रमुख बातें

हल्द्वानी में 29 एकड़ रेलवे भूमि को खाली कराने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर बने घरों को तोड़ने के कदम के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को उत्तराखंड के हल्द्वानी में 29 एकड़ रेलवे भूमि को खाली कराने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करेगा. दूसरी तरफ रेलवे की भूमि में बने 4,000 घरों में रह रहे लोगों का विरोध प्रदर्शन बुधवार को भी जारी रहा. उन्होंने अधिकारियों से तोड़फोड़ जारी नहीं रखने की प्रार्थना की.

  1. हल्द्वानी में घरों के अलावा, लगभग आधे परिवार भूमि के पट्टे का दावा कर रहे हैं. इस क्षेत्र में चार सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी के टैंक, 10 मस्जिद और चार मंदिर हैं.  इसके अलावा दशकों पहले बनी दुकानें भी हैं.
  2. जिला प्रशासन ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 20 दिसंबर को कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अखबारों में नोटिस प्रकाशित किया था. प्रशासन ने लोगों से नौ जनवरी तक अपना सामान ले जाने को कहा है. यह भूमि की पट्टी दो किलोमीटर लंबी है जो कि हलद्वानी रेलवे स्टेशन से बनभूलपुरा इलाके में गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर तक फैली है.
  3. अधिकारियों ने रेलवे की जमीन का निरीक्षण किया जबकि हटाए जा रहे निवासियों ने बेदखली रोकने के लिए कैंडल मार्च निकाला और धरना दिया. इलाके की एक मस्जिद में सैकड़ों लोगों ने सामूहिक नमाज 'इज्तेमाई दुआ' अदा की. मस्जिद उमर के इमाम मौलाना मुकीम कासमी ने एएनआई को बताया कि लोगों ने सामूहिक रूप से समाधान के लिए प्रार्थना की. कुछ प्रदर्शनकारी रोते हुए भी दिखे.
  4. सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में औपचारिक उल्लेख किए जाने के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसए नजीर और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि इस पर गुरुवार को सुनवाई होगी. प्रदर्शनकारी एक ऐसे क्षेत्र में कार्रवाई के लिए बीजेपी सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं, क्योंकि यहां के अधिकांश निवासी मुस्लिम हैं. सामाजिक कार्यकर्ता और नेता भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं.
  5. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य की राजधानी देहरादून में अपने घर पर एक घंटे का मौन व्रत रखा. उन्होंने कहा कि, "उत्तराखंड एक आध्यात्मिक राज्य है. अगर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बूढ़ों सहित 50,000 लोगों को अपना घर खाली करने और सड़कों पर निकलने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह बहुत दुखद दृश्य होगा." उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री राज्य के संरक्षक हैं. मेरा एक घंटे का मौन व्रत (पुष्कर सिंह धामी) को समर्पित है."
  6. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करेगी. पुलिस और निकाय प्रशासन का कहना है कि वह हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं. क्षेत्रीय पुलिस प्रमुख नीलेश ए भर्ने ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "हमने काम आसान बनाने के लिए क्षेत्र को ज़ोनों में विभाजित किया है."
  7. Advertisement
  8. प्रभावित निवासी रेलवे की मंशा और इस कार्रवाई के लिए समय के चुनाव को लेकर सवाल उठा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों में से एक 70 वर्षीय खैरुनिसा ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "मैं यहां हूं आज या कल से नहीं हूं. मुझे मेरे बच्चों और पोते-पोतियों की चिंता है. क्या इस जमीन पर घर, स्कूल और अस्पताल बनने के बाद ही रेलवे जागा है?' 
  9. जिलाधिकारी धीरज एस गर्ब्याल ने कहा, "लोग यहां रेलवे की जमीन पर रहते हैं. उन्हें हटाया जाना है. इसके लिए हमारी तैयारी चल रही है. हमने बल की मांग की है. हम उन्हें जल्द हटा देंगे."
  10. Advertisement
  11. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एक सरकारी गर्ल्स इंटर कॉलेज (GGIC), जिसमें 1,000 से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं, को भी तोड़फोड़ का सामना करना पड़ रहा है. कॉलेज स्टाफ के एक सदस्य ने तो कहा कि यह संस्था 1952 में एक जूनियर हाई स्कूल के रूप में स्थापित हुई थी. इसे साल 2005 में इंटर कॉलेज के रूप में उन्नत किया गया था. प्रशासन ने स्वीकार किया है कि अतिक्रमण हटाने से 2,000 से अधिक विद्यार्थी प्रभावित होंगे. फिलहाल के लिए उन्हें पास के किसी अन्य क्षेत्र में पूर्वनिर्मित भवन संरचनाओं में स्थानांतरित करने की योजना है.
  12. रेलवे की भूमि पर इतने बड़े पैमाने पर निर्माण की अनुमति कैसे दी गई? इसके बारे में रेलवे मंडल के अधिकारी विवेक गुप्ता ने कहा, "यह (रेलवे लाइनों के पास अतिक्रमण) एक राष्ट्रव्यापी घटना है. हमें इसका खेद है." रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का यह मामला 2013 में अदालत में पहुंचा था. तब याचिका मूल रूप से इलाके के पास एक नदी में अवैध रेत खनन के बारे में आई थी.
  13. Advertisement
Featured Video Of The Day
Jharkhand Elections: झारखंड में वोटिंग में पुरुषों से आगे महिलाएं | Jharkhand Exit Poll | NDTV India
Topics mentioned in this article