जानें हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत के 3 अहम फैक्टर, बीजेपी की हार की 2 बड़ी वजह

कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही है, हालांकि वोट-शेयर का अंतर उतना बड़ा नहीं है, जितना उसने लक्ष्य रखा होगा. इस पहाड़ी राज्य में 5 साल में सरकार बदलने के चलन को कम करने के लिए संसाधन-संचालित लड़ाई के बावजूद भाजपा विफल रही.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में जश्न मनाते कांग्रेस समर्थक
नई दिल्ली:

कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही है, हालांकि वोट-शेयर का अंतर उतना बड़ा नहीं है, जितना उसने लक्ष्य रखा होगा. इस पहाड़ी राज्य में 5 साल में सरकार बदलने के चलन को कम करने के लिए संसाधन-संचालित लड़ाई के बावजूद भाजपा विफल रही.

  1. बागी उम्मीदवार: बीजेपी के पास 68 में से 21 सीटों पर बागी उम्मीदवार थे. उनमें से सिर्फ दो जीते, एक अन्य निर्दलीय जो जीता, वह कांग्रेस का बागी था. ऐसे में बागियों को जो मिले वोट मिले वो भाजपा को जाते. ऐसे राज्य में जहां प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में औसतन 1 लाख से कम वोट हैं, यहां मामूली बदलाव बहुत मायने रख सकता है.
  2. मैं खुद: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य होने के बावजूद हिमाचल में तीन गुटों का खेल देखा गया. एक का नेतृत्व नड्डा ने किया, दूसरे का केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने, तो तीसरे का मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने. पार्टी ने राज्य में जयराम ठाकुर को अपना चेहरा घोषित किया, लेकिन अनुराग ठाकुर को एक संभावित चुनौती के रूप में देखा गया. यहां तक ​​कि अपने पिता, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की सार्वजनिक रूप से कड़ी मेहनत की प्रशंसा भी की. लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया. हालांकि धूमल और पार्टी ने जोर देकर कहा कि उन्होंने सेवानिवृत्त होने का फैसला किया है. अगर भाजपा को बागियों को मनाने की जरूरत होती, तो धूमल को एक संभावित विंगमैन के रूप में देखा जाता था.
  3. रिवाज: हिमाचल के बारे में कहा जाता है कि इस शांत राज्य में जीवन धीमी गति से चलता है और हर चुनाव में जनता बदलाव करती है. ये वहां का रिवाज है. जो चुनाव में एक मुद्दा भी था. यह भी एक प्राथमिक कारक साबित हुआ कि कांग्रेस को मौका क्यों मिला. राजनेता और पंडित पहाड़ी राज्य में उच्च स्तर की शिक्षा और राजनीतिक जानकारी जीवन का हिस्सा होने की ओर इशारा करते हैं.
  4. 'ओपीएस' वादा: पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने के वादे ने कांग्रेस के अभियान को गति दी, क्योंकि आबादी का एक बड़ा हिस्सा सरकारी नौकरियों में है. भाजपा ने "डबल इंजन" की पिच बनाई, जिसका अर्थ था कि केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सत्ता में होना सभी मोर्चों पर विकास की गारंटी देता है. लेकिन कांग्रेस ने जोर देकर कहा कि स्थानीय मुद्दे सबसे ज्यादा मायने रखते हैं.
  5. कम महत्वपूर्ण, स्थानीय: पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के जोर से अलग, कांग्रेस ने एक अभियान चलाया जो स्थानीय नेताओं पर निर्भर था, जो अपने क्षेत्रों का प्रबंधन कर रहे थे. राहुल गांधी अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' पर अड़े रहे, मतदान के दिन केवल एक अपील भेजी. हालांकि प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने रैलियां कीं. इसमें गुटबाजी थी, लेकिन नेतृत्व ने एक स्पष्ट संदेश दिया कि मुख्यमंत्री बनने के लिए, पार्टी को जीतना होगा, और यह एकजुट होकर ही होता है. राज्य इकाई की प्रमुख प्रतिभा सिंह, वरिष्ठ नेता मुकेश अग्निहोत्री और सुखविंदर सुक्खू के धड़े अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रहे, और यह बढ़ता गया.
Advertisement
Featured Video Of The Day
Prasun Banerjee On India Pakistan Match: 'मैच होना चाहिए, हम चुनौती देते हैं, जीत हमारी होगी'
Topics mentioned in this article