इस बात को लेकर सस्पेंस के बीच कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में हैं या नहीं, उनकी सोनिया गांधी के साथ बैठक को एक दिन के लिए टाल दिया गया है. शुरू में बैठक बुधवार शाम के लिए निर्धारित की गई थी. गहलोत बुधवार रात दिल्ली पहुंचे हैं. वहीं गुरुवार को उनकी कांग्रेस अध्यक्ष के साथ बैठक होनी है.
- दिल्ली पहुंचने के बाद गहलोत ने कहा, "हम कांग्रेस अध्यक्ष के अधीन काम करते हैं. आने वाले समय में उसके अनुसार निर्णय लिए जाएंगे. मीडिया को देश के मुद्दों को पहचानना चाहिए. लेखकों, पत्रकारों को देशद्रोही कहा जा रहा है और जेल में डाल दिया गया है. हमें उनकी चिंता है."
- राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा, "ये हमारी पार्टी की परम्परा आज भी है, 50 साल से देख रहा हूं, नबर वन जो होता है कांग्रेस प्रेसिडेंट, इंदिरा जी के वक्त से मैं देख रहा हूं, राजीव जी के वक्त से मैं देख रहा हूं, चाहे नरसिम्हा राव जी थे, सोनिया गांधी जी कांग्रेस प्रेसिडेंट हैं, हमेशा कांग्रेस के अंदर डिसिप्लिन है."
- रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शशि थरूर और अशोक गहलोत के बाद दिग्विजय सिंह के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नया उम्मीदवार आया है. वहीं कभी इस रेस में सबसे आगे रहने वाले अशोक गहलोत ने नामांकन बंद होने से ठीक दो दिन पहले अपने खेल से सभी को चौंका दिया.
- राजस्थान के मंत्री प्रताप सिंह कचरियावास ने कहा, "कांग्रेस अशोक गहलोत के नेतृत्व में काम करेगी. हमने उनके इस्तीफे पर चर्चा नहीं की. वह आज इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, वह भविष्य में इस्तीफा नहीं देंगे." एक अन्य मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा, "अशोक गहलोत राजस्थान में अपने पांच साल पूरे करेंगे."
- चूंकि कांग्रेस में किसी नेता को दो पद पर रहने की अनुमति नहीं है, इसीलिए कई लोगों ने इन टिप्पणियों को एक संकेत के रूप में देखा कि अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते ही स्पष्ट किया था कि गहलोत कांग्रेस के "एक व्यक्ति, एक पद" नीति के अनुरूप दोहरी भूमिका नहीं निभा सकते.
- अशोक गहलोत, बहुत अनिच्छा के साथ पार्टी अध्यक्ष के लिए सहमत हुए, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों से लगा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में वो बने रहना चाहते हैं. रविवार को गहलोत के वफादार 90 से अधिक विधायकों ने उन रिपोर्टों पर सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी, जिसमें कहा गया था कि यदि वह एक राष्ट्रीय भूमिका में चले गए, तो राजस्थान के मुख्यमंत्री उनके प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट होंगे.
- गांधी परिवार के खुले विरोध में, विधायकों ने शर्तें रखीं, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद ही, यदि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं, तो एक नया मुख्यमंत्री चुनना शामिल था. इस विद्रोह ने राहुल गांधी की "भारत जोड़ो यात्रा" के बीच कांग्रेस को काफी शर्मिंदा किया. कहा जाता है कि इससे गांधी परिवार काफी नाराज है और इस बात की प्रबल अटकलें हैं कि गहलोत पार्टी प्रमुख की दौड़ से बाहर हैं.
- हालांकि पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि गहलोत अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए रेस में हैं और इससे इनकार नहीं किया गया है. मंगलवार शाम, कांग्रेस नेता अंबिका सोनी और आनंद शर्मा ने सोनिया गांधी के साथ बैठक कर राजस्थान कांग्रेस को लेकर जो संकट पैदा हुआ है, उसे हल करने के लिए बात की.
- गहलोत ने उस सुबह भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक मंदिर के दौरा का हवाला देते हुए विद्रोह में किसी भी तरह से भाग लेने से इनकार किया. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से कहा, "मेरे हाथ में कुछ नहीं है, विधायक नाराज हैं." गहलोत ने भी माफी मांगी, लेकिन कहा गया कि कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता माना. सचिन पायलट भी इस वक्त दिल्ली में हैं और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलना चाहते हैं.
- गौरतलब है कि कांग्रेस दो दशक से अधिक समय के अंदर अपने पहले गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष को लाने की तैयारी कर रही है. तीनों गांधी 17 अक्टूबर को होने वाले चुनाव से बाहर रहेंगे. अब तक शशि थरूर ने नामांकन पत्र मांगा है. खबरें हैं कि दिग्विजय सिंह इस मुकाबले में शामिल हो सकते हैं.
Advertisement
Advertisement
Advertisement