27 जून से शुरू हो रही है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, यहां जानिए रथ खींचने का क्या है नियम

यह रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक जाती है. इस यात्रा में हर व्यक्ति को रथ खींचने का अवसर मिलता है, लेकिन कुछ कदमों तक ही रथ खींचने की अनुमति होती है.

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इस रथ को किसी भी जाति पंत, प्रांत या देश के लोग खींच सकते हैं.

Bhagwan Jagannath ke Rath Kheechne ke Niyam : उड़ीसा के पुरी की प्रसिद्ध रथ यात्रा 27 जून से शुरू हो रही है, जो 5 जुलाई को समाप्त होगी. इसमें देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे. क्योंकि मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की यात्रा में रथ खींचने वाले भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में अगर आप भी इस साल रथ यात्रा में शामिल होना चाहते हैं, तो आपको रथ खींचने से जुड़े नियम जानना जरूरी है...

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भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने का क्या है नियम - What is the rule of pulling the chariot of Lord Jagannath

इस रथ को किसी भी जाति पंत, प्रांत या देश के लोग खींच सकते हैं. यानी इस रथ को खींचने को लेकर कोई अलग से नियम नहीं है. क्योंकि प्रभु की नजरों में सभी भक्त एक समान हैं. इस यात्रा में तीनों रथों को क्रम से भक्त रस्सी से खींचते हैं. क्योंकि माना जाता है कि रथ खींचने वाला व्यक्ति जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है. 

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कैसा होता है रथ - What is a chariot like 

आपको बता दें कि इस यात्रा में 3 रथ शामिल होते हैं. भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष', बलराम जी के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं और देवी सुभद्रा के रथ को 'दर्पदलन पद्म' रथ कहा जाता है.जिसमें भगवान जगन्नाथ का रथ 45 फीट ऊंचा और 16 पहिए होते हैं,  बलराम जी का रथ 43 फीट ऊंचा 14 पहिए वाला होता है.जबकि, देवी सुभद्रा का रथ 42 फीट ऊंचा होता है और इसमें 12 पहिए होते हैं.

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यह रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक जाती है. इस यात्रा में हर व्यक्ति को रथ खींचने का अवसर मिलता है, लेकिन कुछ कदमों तक ही रथ खींचने की अनुमति होती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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