Uttarakhand temple : रक्षाबंधन के त्योहार को बस एक दिन बाकी है. इसलिए इसकी चहल-पहल बाजार में तेज हो गई है. मिठाई और राखी की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई है. रक्षाबंधन के त्यौहार से याद आया कि उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर है जो राखी के त्योहार (Rakhi festival) के दौरान ही खुलता है. यहां पर दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. यह उत्तराखंड के चमोली (chamoli district) जिले में स्थित है. आखिर इसके पीछे क्या कहानी है चलिए जानते हैं इस लेख में.
वंशी नारायण मंदिरचमोली जिले में स्थित वंशी नारायण मंदिर समुद्रतल से लगभग 12 हज़ार से भी अधिक फिट की ऊंचाई पर स्थित है. राखी का त्योहार नजदीक आते ही मंदिर की और उसके आस-पास सफाई शुरू हो जाती है. यह मंदिर सूर्योदय के साथ खुलता है और अस्त होते ही बंद कर दिया जाता है.
इस मंदिर को लेकर लोगों में मान्यता है कि भगवान विष्णु धरती पर इसी स्थान पर प्रकट हुए थे. यह भी मानना है कि भगवान विष्णु ने वामन का रूप धारण कर राजा बलि का अहंकार नष्ट किया था. जब भगवान विष्णु ने बलि के अहंकार को नष्ट किया था तब उसने भगवान से प्रार्थना की कि वह उनके सामने ही रहें. उसके बाद से विष्णु जी राजा बलि के द्वारपाल बन गए.
लोगों का यह भी मानना है कि जब बलि का अहंकार नष्ट करने के बाद भगवान वापस नहीं लौटे तो देवी लक्ष्मी पाताल लोक पहुंच गई और बलि के कलाई पर राखी बांधकर भगवान विष्णु को वापस मांगा जिसके बाद विष्णु जी पाताल लोक आ गए. तब से ही इस मंदिर को वंशी नारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है और पूजा जाने लगा. इस मंदिर में रक्षाबंधन के दिन भगवान नारायण का सिंगार भी किया जाता है. श्रावण पूर्णिमा के दिन हर घर से मंदिर में चढ़ाने के लिए मक्खन आता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)