Tulsidas Jayanti 2022: तुलसीदास जयंती आज, जानें उनके जीवन से जुड़ी खास जानकारियां

Tulsidas Jayanti 2022: तुलसीदास जयंती हर साल सावन शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस बार तुलसीदास जयंती 04 अगस्त को यानी आज मनाई जा रही है.

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Tulsidas Jayanti 2022: गोस्वामी तुलसीदास के जीवन से जुड़ी ये हैं खास जानकारी.
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  • आज मनाई जा रही है तुलसीदास जयंती.
  • सावन शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है तुलसीदास जयंती.
  • रामचरितमानस के रचयिता हैं तुलसीदास.
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Tulsidas Jayanti 2022: तुलसीदास जयंती हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल 2022 में तुलसीदास जयंती (Tulsidas Jayanti) 03 अगस्त, गुरुवार को यानी आज मनाई जा रही है. गोस्वामी तुलसीदास 16वीं सदी के महान संत और कवियों में एक माने जाते हैं. इनका जन्म उत्तर प्रदेश के राजापुर नामक गांव में हुआ था. सन् 1554 में जन्म लेने वाले संत तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की जो कि अमर काव्यों में से एक है. इसके अलावा उन्होनें गीतावली, कवितावली, विनयपत्रिका, जानकी मंगल और बरवै रामायण सहित 12 ग्रंथों की रचना की है. 

2022 में कब है तुलसीदास जयंती | Tulsidas Jayanti 2022 Date

तुलसीदास जयंती (Tulsidas Jayanti) प्रत्येक वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल तुलसीदास जयंती 04 अगस्त, गुरुवार को मनाई जाएगी. पंचांग के मुताबिक सप्तमी तिथि का आरंभ 4 अगस्त को सुबह 5 बजकर 40 मिनट से हो रही है. जबकि सप्तमी तिथि की समाप्ति 5 अगस्त को सुबह 5 बजकर 6 मिनट पर होगी. 

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पत्नी की इस कड़वी बात ने बदल दी तुलसीदास का जीवन

मान्यताओं के अनुसार, तुलसीदास (Tulsidas) जी का विवाह रत्नावली के साथ हुआ था. वे अपनी पत्नी रत्नावली से अत्यधिक प्रेम करते थे. कहा जाता है कि एक बार उनकी पत्नी मायके गई हुई थीं. वे अपनी पत्नी से मिलने हेतु रात के मूसलाधार बारिश में मिलने उनके मायके पहुंच गए. कहते हैं कि तुलसीदास जी (Tulsidas) की पत्नी विदुषी महिला थीं. वे अपने पति की इस कृत्य पर बहुत लज्जित हुईं और उनको ताना देते हुए कहा- "हाड़ मांस को देह मम, तापर जितनी प्रीति, तिसु आधो जो राम प्रति, अवसि मिटिहि भवभीति". यानी तुम्हें जितना प्रेम मेरे हाड़-मांस के इस शरीर से है अगर उसका आधा प्रेम भी श्रीराम से किया होता तो भवसागर से पार हो गए होते. पत्नी की इसी बात से तुलसीदास के जीवन की दशा बदल गई, परिणामस्वरूप वे प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन हो गए. देखते-देखते उन्हें रामचरितमानस महाकाव्य की रचना कर डाली. 

बचपन में सहना पड़ा था अत्यधिक कष्ट

तुलसीदास जी (Tulsidas) की माता का देहावसान होने के बाद उनके पिता ने उन्हें अमंगल मानकर उनका त्याग कर दिया. यही कारण है कि गोस्वामी तुलसीदास जी का बाल्यकाल कष्टों में बीता. बाल्यावस्था में उनका पालन-पोषण एक दासी ने किया. लेकिन जब दासी ने भी उनका साथ छोड़ दिया तब खाने के लिए उन्हें बहुत अधिक कष्ट उठाने पड़ते थे.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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