Tulsi Vivah 2024 : कब है तुलसी विवाह? यहां जानिए सही तारीख, पूजा मुहूर्त, विधि और महत्व

Tulsi vivah muhurat 2024 : इस साल तुलसी विवाह की तारीख, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व क्या है आगे आर्टिकल में बताया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Tulsi vivah puja vidhi : तुलसी विवाह के दिन उपवास रखा जाता है जो विवाह संपन्न होने के बाद खोला जाता है. 

Tulsi vivah kab hai 2024 : तुलसी विवाह पर्व हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है. यह त्योहार ग्यारहवें चंद्र दिवस यानी प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होता है और पूर्णिमा की रात्रि या कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है. इस दिन भगवान विष्णु के विग्रह स्वरुप शालीग्राम तथा देवी तुलसी का विवाह सम्पन्न करने का विधान है. ऐसे में यह महत्वपूर्ण पर्व इस साल किस दिन मनाया जाएगा, आगे आर्टिकल में डिटेल में बताया गया है. 

तुलसी विवाह मुहूर्त 2024

द्वादशी तिथि की शुरूआत 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगी, जो अगले दिन यानी 13 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगा. उदयातिथि पड़ने के कारण तुलसी विवाह 13 नवंबर को मनाया जाएगा.

तुलसी विवाह पूजा विधि

भगवान विष्णु और तुलसी विवाह सामान्य हिंदू रीति-रिवाज के सामान ही किया जाता है. 

- तुलसी विवाह के दिन उपवास रखा जाता है जो विवाह संपन्न होने के बाद खोला जाता है. 

- तुलसी विवाह में फूल या साड़ियों से मंडप तैयार किया जाता है. फिर तुलसी के पौधे और भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराया जाता है. उसके बाद उन्हें फूल माला पहननाई जाती है.

- तुलसी विवाह के दौरान तुलसी जी का सोलह सिंगार किया जाता है. उन्हें गहने, लाल बिंदी साड़ी आदी से सजाया जाता है. वहीं, भगवान विष्णु के शालिग्राम को धोती पहनाई जाती है. फिर तुलसी जी और भगवान विष्णु को धागे से बांधा जाता है. 

- आपको बता दें कि तुलसी विवाह पुजारी और सभी आयु की महिलाओं द्वारा सम्पन्न कराया जा सकता है. तुलसी विवाह का समापन भक्तों द्वारा नवविवाहित युगल पर चावल और सिंदूर की वर्षा के साथ होता है. विवाह संपन्न होने के बाद सभी भक्तों को भोग वितरण किया जाता है. 

तुलसी विवाह महत्व

तुलसी विवाह हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. इसे देवउठनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है. मान्यता है इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, इन चार महीनों यानी चार्तुमास में किसी भी प्रकार का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. तुलसी विवाह से ही सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. ऐसी मान्यता है कि जो घर में तुलसी विवाह एवं पूजा का आयोजन करता है, उसके घर-परिवार से क्लेश तथा विपत्तियां दूर हो जाती हैं, साथ ही धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


 

Featured Video Of The Day
PM Modi Kuwait Visit: PM मोदी के कुवैत दौरे का दूसरा दिन, Bayan Palace में दिया गया Guard Of Honour
Topics mentioned in this article