Skand Shashti 2025: कब मनाई जाएगी साल की पहली स्कंद षष्ठी, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व 

Skand Shashti Date: हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है. मान्यतानुसार स्कंद षष्ठी के दिन पूजा करना बेहद शुभ होता है. 

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Skand Shashti Kab Hai: जानें किस दिन रखा जाएगा स्कंद षष्ठी का व्रत. 

Skand Shashti Puja: स्कंद षष्ठी व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. स्कंद षष्ठी के व्रत को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और यह व्रत भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय के लिए रखा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध किया था. भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikey) ने तीनों लोकों को तारकासुर के अत्याचार से बचाया था. इस व्रत की दक्षिण भारत में विशेष धार्मिक मान्यता होती है. जानिए जनवरी के महीने में स्कंद षष्ठी का व्रत कब रखा जाएगा और किस शुभ मुहूर्त में पूजा की जा सकती है. 

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स्कंद षष्ठी का व्रत कब है | Skand Shashti Vrat 2025  

पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ जनवरी की रात 10 बजे से होगा और इस तिथि का समापन 5 जनवरी की रात 18:15 बजे हो जाएगा. उदया तिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत इस साल 5 जनवरी, रविवार के दिन रखा जाएगा. स्कंद षष्ठी की पूजा का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) पूरे दिन माना जा रहा है. इस दौरान भगवान कार्तिकेय की पूजा की जा सकती है.

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बन रहे हैं शुभ योग 

स्कंद षष्ठी के दिन रवि योग का विशेष संयोग बन रहा है. इस योग का समय सुबह 7 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग भी पूरी रात रहने वाला है. आखिर में त्रिपुष्कर योग और अभिजीत महुर्त भी बनेंगे. 

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क्यों रखा जाता है स्कंद षष्ठी का व्रत 

भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है. स्कंद षष्ठी के दिन व्रत रखने पर माना जाता है कि संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस व्रत को रखने पर मान्यतानुसार अमोघ फल की प्राप्ति होती है. इस व्रत को रखने पर आध्यात्मिक शांति मिलती है. साथ ही, जीवन में समृद्धि और सफलता आती है. 

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स्कंद षष्ठी की आरती 

जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा

जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम

जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर

जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी

जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता

जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार

जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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