Sarva Pitru Amavasya 2021: सर्वपितृ अमावस्‍या पर गजछाया योग में करें गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ

Sarva Pitru Amavasya: सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) को पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के विसर्जन का दिन माना जाता है. पितृ पक्ष को पितरों का कर्ज उतारने के दिन कहा जाता है, ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या के दिन 'गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र' का पाठ करने से काफी लाभ मिलता है.

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Sarva Pitru Amavasya 2021: गजछाया योग में गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करना है उत्तम
नई दिल्ली:

Gajendra Moksha Stotra: आश्विन मास की अमावस्य का पितृ पक्ष में विशेष महत्व बताया गया है. इस अमावस्या को आश्विन अमावस्या के साथ, सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है. पितृ पक्ष का आखिरी दिन अश्विन महीने की अमावस्या तिथि को होता है. इस अमावस्‍या को सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) कहते हैं क्‍योंकि इस दिन उन सभी पितरों का तर्पण-श्राद्ध किया जा सकता है. पंचांग के अनुसार अमावस्या की तिथि 5 अक्टूबर 2021 मंगलवार को शाम 07 बजकर 04 मिनट से आरंभ होगी. अमावस्या की तिथि का समापन 6 अक्टूबर 2021 का दोपहर 04 बजकर 34 मिनट पर होगा. पितृ पक्ष को पितरों का कर्ज उतारने के दिन कहा जाता है, ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या के दिन 'गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र' का पाठ करने से काफी लाभ मिलता है. कर्ज से मुक्ति पाने के लिए गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र को सर्वाधिक शुभकारी माना गया है. कहा जाता है कि जब हाथी पूरी तरह डूबने लगा था, तब उसने श्री हरी विष्णु को पुकारते हुए उनकी ये स्तुति की थी. इस स्तुति को सुनकर भगवान विष्णु वहां आए और हाथी की रक्षा की थी.

Sarva Pitru Amavasya 2021: जानिये गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र पाठ का महत्व

गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ (Gajendra Moksha Stotra)

ऐसा माना जाता है कि गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र सभी तरह के संकटों से मुक्ति के मार्ग दिखाता है. पितृ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाएं और दक्षिण दिशा में मुंह करके 'गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र' का पाठ पढ़ें. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु का ध्यान करें और पितरों की नाराजगी दूर करने व पितृ दोष को समाप्त करने की प्रार्थना करें. फिर पितरों को मीठे का भोग लगाएं.

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र (Gajendra Moksha Stotra)

श्रीमद्भागवतान्तर्गतगजेन्द्र कृत भगवान का स्तवन

श्री शुक उवाच एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि,

जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम.

ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम,

पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि.

यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयं,

योस्मात्परस्माच्च परस्तं प्रपद्ये स्वयम्भुवम.

यः स्वात्मनीदं निजमाययार्पितंक्कचिद्विभातं क्क च तत्तिरोहितम,

अविद्धदृक साक्ष्युभयं तदीक्षतेस आत्ममूलोवतु मां परात्परः.

कालेन पंचत्वमितेषु कृत्स्नशोलोकेषु पालेषु च सर्व हेतुषु,

तमस्तदाऽऽऽसीद गहनं गभीरंयस्तस्य पारेऽभिविराजते विभुः.

न यस्य देवा ऋषयः पदं विदुर्जन्तुः पुनः कोऽर्हति गन्तुमीरितुम,

Sarva Pitru Amavasya 2021: गजछाया योग में गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ

यथा नटस्याकृतिभिर्विचेष्टतोदुरत्ययानुक्रमणः स मावतु.

दिदृक्षवो यस्य पदं सुमंगलमविमुक्त संगा मुनयः सुसाधवः,

चरन्त्यलोकव्रतमव्रणं वनेभूतत्मभूता सुहृदः स मे गतिः.

न विद्यते यस्य न जन्म कर्म वान नाम रूपे गुणदोष एव वा,

तथापि लोकाप्ययाम्भवाय यःस्वमायया तान्युलाकमृच्छति.

तस्मै नमः परेशाय ब्राह्मणेऽनन्तशक्तये,

अरूपायोरुरूपाय नम आश्चर्य कर्मणे.

नम आत्म प्रदीपाय साक्षिणे परमात्मने,

नमो गिरां विदूराय मनसश्चेतसामपि.

सत्त्वेन प्रतिलभ्याय नैष्कर्म्येण विपश्चिता,

नमः केवल्यनाथाय निर्वाणसुखसंविदे.

नमः शान्ताय घोराय मूढाय गुण धर्मिणे,

निर्विशेषाय साम्याय नमो ज्ञानघनाय च.

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