माह-ए-रमजान: कुरान के वे 100 नियम, हर मुस्लिम के लिए जिन पर जरूरी है अमल

रमजान के दौरान कुरान पढ़ना जरूरी है. कुरान की अलग-अलग सूरह में लिखे नियमों को पढ़कर सही मायनों में पूरी होगी अल्लाह की इबादत.

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Recitation Of Quran: कुरान में दिए इन नियमों को जीवन में उतारना है जरूरी. 

Ramdan 2025: रमजान का पाक महीना चल रहा है. रमजान के महीने में रोजों के साथ दिनभर इबादत चलती है. रमजान में पवित्र कुरान-ए-पाक पढ़ने की अहमियत है. कुरान की अलग-अलग सूरा में कई ऐसी बातें या कहें नियम हैं जिन्हें ना सिर्फ रमजान के दौरान समझना जरूरी है बल्कि इन्हें जिंदगी में उतार लेना चाहिए. यहां कुरान की ऐसी 100 सूरा दी गई हैं, जिन्हें रमजान के दौरान रोजा रखने वाले को जरूर पढ़ना चाहिए.

कुरान की 100 सूरा 

1. गुफ्तगू के दौरान बदतमीज़ी न किया करो,
~ सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 83

2. गुस्से को काबू में रखो,
~ सूरह आले-इमरान, आयत नंबर 134

3. दूसरों के साथ भलाई करो,
~ सूरह अल-क़सस, आयत नंबर 77

4. तकब्बुर (घमंड) न करो,
~ सूरह अन-नहल, आयत नंबर 23

5. दूसरों की गलतियाँ माफ़ कर दिया करो,
~ सूरह अन-नूर, आयत नंबर 22

6. लोगों के साथ धीरे बोला करो,
~ सूरह लुक़मान, आयत नंबर 19

7. अपनी आवाज़ नीची रखा करो,
~ सूरह लुक़मान, आयत नंबर 19

8. दूसरों का मज़ाक़ न उड़ाया करो,
~ सूरह अल-हुजरात, आयत नंबर 11

9. वालिदैन (माता-पिता) की सेवा किया करो,
~ सूरह अल-इसरा, आयत नंबर 23

10. वालिदैन से 'उफ़' तक न करो,
~ सूरह अल-इसरा, आयत नंबर 23

11. वालिदैन की इजाज़त के बिना उनके कमरे में दाखिल न हुआ करो,
सूरह अन-नूर, आयत नंबर 58

12. लेन-देन का हिसाब लिख लिया करो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 282

13. किसी की अंधाधुंध तकलीद (अनुकरण) न करो,
सूरह अल-इसरा, आयत नंबर 36

14. अगर क़र्ज़दार मुश्किल वक्त से गुजर रहा हो तो उसे अदा करने के लिए और वक्त दे दिया करो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 280

15. सूद न खाओ,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 278

16. रिश्वत न लो,
सूरह अल-माइदा, आयत नंबर 42

17. वादे न तोड़ो,
सूरह अर-राद, आयत नंबर 20

18. दूसरों पर एतमाद (विश्वास) किया करो,
सूरह अल-हुजरात, आयत नंबर 12

19. सच में झूठ न मिलाया करो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 42

20. लोगों के दरमियान इंसाफ कायम किया करो,
सूरह साद, आयत नंबर 26

21. इंसाफ के लिए मजबूती से खड़े हो जाया करो,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 135

22. मरने वालों की दौलत खानदान के सभी अरकान (सदस्यों) में तक़सीम किया करो,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 8

23. ख़वातीन (महिलाएँ) भी विरासत में हिस्सेदार हैं,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 7

24. यतीमों की जाइदाद (संपत्ति) पर कब्जा न करो,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 2

25. यतीमों की हिफाज़त (सुरक्षा) करो,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 127

26. दूसरों का माल बेवजह खर्च न करो,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 6

27. लोगों के दरमियान सुलह (मिलाप) कराओ,
सूरह अल-हुजरात, आयत नंबर 10

28. बदगुमानी (शक) से बचो,
सूरह अल-हुजरात, आयत नंबर 12

29. ग़ीबत (चुगली) न करो,
सूरह अल-हुजरात, आयत नंबर 12

30. जासूसी न करो,
सूरह अल-हुजरात, आयत नंबर 12

31. खैरात (दान) किया करो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 271

32. ग़रीबों को खाना खिलाया करो,
सूरह अल-मुद्दस्सिर, आयत नंबर 44

33. ज़रूरतमंदों को तलाश कर उनकी मदद किया करो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 273

34. फिज़ूलखर्ची न किया करो,
सूरह अल-फुरक़ान, आयत नंबर 67

35. खैरात करके जताया न करो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 262

36. मेहमानों की इज्ज़त (सम्मान) किया करो,
सूरह अज़-ज़रियात, आयत नंबर 24-27

37. नेकी पहले खुद करो और फिर दूसरों को तालीम (सिखाना) दो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 44

38. ज़मीन पर बुराई न फैलाओ,
सूरह अल-अंकबूत, आयत नंबर 36

39. लोगों को मस्जिदों में दाखिले से न रोको,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 114

40. सिर्फ उनसे लड़ो जो तुमसे लड़ें,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 190

41. जंग के दौरान जंग के आदाब (आचरण) का ख्याल रखो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 190

42. जंग के दौरान पीठ न दिखाओ,
सूरह अल-अनफाल, आयत नंबर 15

43. मज़हब (धर्म) में कोई सख्ती नहीं है,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 256

44. तमाम अंबिया (पैगंबरों) पर ईमान लाओ,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 150

45. हैज़ के दिनों में मुआशरत (संबंध) न करो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 222

46. बच्चों को दो साल तक माँ का दूध पिलाओ,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 233

47. जिन्सी बदकारी (अनैतिक संबंधों) से बचो,
सूरह अल-इसरा, आयत नंबर 32

48. हुक्मरानों (शासकों) को मेरिट (योग्यता) पर चुने,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 247

49. किसी पर उसकी ताकत से ज्यादा बोझ न डालो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 286

50. मुनाफिकत (दिखावा/पाखंड) से बचो,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 14-16

51. कायनात (सृष्टि) की तख्लीक (रचना) और अजूबों पर गहराई से गौर करो,
सूरह आले-इमरान, आयत नंबर 190

52. औरतें और मर्द अपने आमाल (कर्मों) का बराबर हिस्सा पाएंगे,
सूरह आले-इमरान, आयत नंबर 195

53. कुछ रिश्तेदारों से शादी हराम है,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 23

54. मर्द खानदान का सरबराह है,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 34

55. बखील (कंजूस) न बनो,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 37

56. हसद (ईर्ष्या) न करो,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 54

57. एक-दूसरे का कत्ल न करो,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 29

58. फरेब (धोखा) की वकालत न करो,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 135

59. गुनाह और ज़्यादती में दूसरों का साथ न दो,
सूरह अल-माइदा, आयत नंबर 2

60. नेकी में एक-दूसरे की मदद करो,
सूरह अल-माइदा, आयत नंबर 2

61. अक्सरीयत (बहुसंख्यक) सच्चाई की कसौटी नहीं होती,
सूरह अल-माइदा, आयत नंबर 100

62. सही रास्ते पर रहो,
सूरह अल-अनआम, आयत नंबर 153

63. जराइम (अपराध) की सज़ा देकर मिसाल कायम करो,
सूरह अल-माइदा, आयत नंबर 38

64. गुनाह और नाइंसाफी के खिलाफ जद्दोजहद (संघर्ष) करते रहो,
सूरह अल-अनफाल, आयत नंबर 39

65. मुर्दा जानवर, खून और सुअर का गोश्त हराम है,
सूरह अल-माइदा, आयत नंबर 3

66. शराब और दूसरी नशीली चीज़ों से परहेज़ करो,
सूरह अल-माइदा, आयत नंबर 90

67. जुआ न खेलो,
सूरह अल-माइदा, आयत नंबर 90

68. हेराफेरी न करो,
सूरह अल-अहजाब, आयत नंबर 70

69. चुगली न खाओ,
सूरह अल-हुज़्ज़ा, आयत नंबर 1

70. खाओ और पियो लेकिन फिजूलखर्ची न करो,
सूरह अल-आराफ, आयत नंबर 31

71. नमाज़ के वक्त अच्छे कपड़े पहनो,
सूरह अल-आराफ, आयत नंबर 31

72. जो लोग तुमसे मदद और तहफ्फुज (सुरक्षा) मांगें, उनकी हिफाज़त करो और उनकी मदद करो,
सूरह अत-तौबा, आयत नंबर 6

73. पाकीज़गी (स्वच्छता) क़ायम रखो,
सूरह अत-तौबा, आयत नंबर 108

74. अल्लाह की रहमत (दया) से मायूस न हो,
सूरह अल-हिज्र, आयत नंबर 56

75. अल्लाह नादानिस्ता (अनजाने में) की जाने वाली गलतियाँ माफ कर देता है,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 17

76. लोगों को दानाई (बुद्धिमानी) और अच्छी हिदायत के साथ अल्लाह की तरफ बुलाओ,
सूरह अन-नहल, आयत नंबर 125

77. कोई शख्स किसी और के गुनाहों का बोझ नहीं उठाएगा,
सूरह फातिर, आयत नंबर 18

78. गरीबी के डर से अपने बच्चों को कत्ल न करो,
सूरह अन-नहल, आयत नंबर 31

79. जिस चीज़ के बारे में इल्म (ज्ञान) न हो, उस पर गुफ्तगू न करो,
सूरह अल-इसरा, आयत नंबर 36

80. किसी की टोह (जासूसी) में न रहो,
सूरह अल-हुज़्ज़ात, आयत नंबर 12

81. इजाज़त के बिना दूसरों के घरों में दाखिल न हो,
सूरह अन-नूर, आयत नंबर 27

82. अल्लाह अपनी जात पर यकीन रखने वालों की हिफाज़त करता है,
सूरह यूनुस, आयत नंबर 103

83. ज़मीन पर अज़ीज़ी (विनम्रता) के साथ चलो,
सूरह अल-फुरक़ान, आयत नंबर 63

84. अपने हिस्से का काम करो। अल्लाह, उसका रसूल (ﷺ), और मोमिनीन तुम्हारा काम देखेंगे,
सूरह अत-तौबा, आयत नंबर 105

85. अल्लाह की जात के साथ किसी को शरीक न करो,
सूरह अल-कहफ, आयत नंबर 110

86. हम-जिंस परस्ती (समलैंगिकता) में न पड़ो,
सूरह अन-नमल, आयत नंबर 55

87. हक (सच) का साथ दो और ग़लत (झूठ) से परहेज़ करो,
सूरह अत-तौबा, आयत नंबर 119

88. ज़मीन पर अकड़ कर न चलो,
सूरह अल-इसरा, आयत नंबर 37

89. औरतें अपनी ज़ीनत (सजावट) की नुमाइश न करें,
सूरह अन-नूर, आयत नंबर 31

90. अल्लाह शिर्क (मल्टी-डिवाइनिटी) के सिवा तमाम गुनाह माफ कर देता है,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 48

91. अल्लाह की रहमत (दया) से मायूस न हो,
सूरह अज़-ज़ुमर, आयत नंबर 53

92. बुराई को अच्छाई से खत्म करो,
सूरह हम सज़दा, आयत नंबर 34

93. फैसले मशविरा (परामर्श) के साथ किया करो,
सूरह अश-शूरा, आयत नंबर 38

94. तुममें वही ज्यादा इज्जतदार है जो ज्यादा परहेज़गार है,
सूरह अल-हुज़्ज़ात, आयत नंबर 13

95. इस्लाम में ज़ुहद (दुनियादारी से अलगाव) नहीं है,
सूरह अल-हदीद, आयत नंबर 27

96. अल्लाह इल्म (ज्ञान) वालों को तरजीह (प्राथमिकता) देता है,
सूरह अल-मुजादिलाह, आयत नंबर 11

97. गैर-मुसलमानों के साथ मेहरबानी और अच्छे अखलाक (व्यवहार) से पेश आओ,
सूरह अल-मुमतहिना, आयत नंबर 8

98. खुद को लालच से बचाओ,
सूरह अन-निसा, आयत नंबर 32

99. अल्लाह से माफी मांगो। वह माफ करने और रहम करने वाला है,
सूरह अल-बक़रह, आयत नंबर 199

100. जो हाथ फैलाए, उसे न झिड़को। अपनी हैसियत के मुताबिक कुछ दे दो,
सूरह अज़-ज़ुहा, आयत नंबर 10

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