Pradosh Vrat: अक्टूबर महीने का पहला शुक्र प्रदोष व्रत है आज, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

Shukra Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने के लिए खास होता है. अक्टूबर महीने का पहला शुक्र प्रदोष आज है.

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Ashwin Pradosh Vrat: अक्टूबर में इस दिन रखा जाएगा शुक्र प्रदोष व्रत.

Shukra Pradosh Vrat: कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat Date) रखने का विधान है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 अक्टूबर, शुक्रवार को यानी आज है. ऐसे में शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat) रखा जाएगा. हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत को खास महत्व दिया गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, शुक्र प्रदोष से सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा (Shiv Puja) की जाती है. प्रदोष व्रत के पूजन के लिए सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त से 45 मिनट बाद का समय शुभ होता है. प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर वास करते हैं. अक्टूबर महीने का पहला शुक्र प्रदोष व्रत (October Pradosh Vrat) कब रहा जाएगा और इसके लिए शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Date Time) क्या है इसे जानते हैं.

शुक्र प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त | Shukra Pradosh Vrat Shubh Muhurat

प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है. त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 07 अक्टूबर, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 26 मिनट पर हो रही है. वहीं त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 8 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 24 मिनट पर होगी. प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजे से लेकर रात 8 बजकर 28 मिनट तक है. ऐसे में इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करना अच्छा रहेगा.

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शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि | Pradosh Vrat Vidhi

शुक्र प्रदोष व्रत के लिए 7 अक्टूबर को सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत होकर स्नान कर लें. इसके बाद हल्के गुलाबी या सफेद रंग के वस्त्र धारण कर लें. फिर प्रदोष व्रत की पूजा का संकल्प लें. पूजन स्थल पर अक्षत, गंगाजल, धूप-दीप, बेलपत्र और फूल इत्यादि पूजा सामग्री की व्यवस्था कर लें. इसके बाद इन पूजन सामग्रियों से भगवान शिव की पूजा करें. प्रदोष व्रत निराहार किया जाता है यानी व्रत के दौरान आहार ग्रहण नहीं किया जाता है, इसलिए इसका खास ध्यान रखें. व्रत के दौरान जल का सेवन किया जा सकता है. प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखकर मां पर्वती सहित शिवजी की पूजा करें. सूर्यास्त से पहले फिर से स्नान करके प्रदोष काल में पूर्व-उत्तर की ओर मुंह करके स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं. इससे खुद पवित्र होकर शिवजी को गंगाजल से अभिषेक करें. इसके बाद शिवजी को अक्षत, धूप, दीप, रोली इत्यादि पूजन सामग्रियों से पूजा करें. भगवान शिव को चावल की खीर का भोग लगाएं. पूजन के बाद ओम् नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें. अंत में आरती करने के बाद शिव को प्रणाम करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें.

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प्रदोष व्रत का महत्व | Pradosh Vrat Importance

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है. इस दिन प्रदोष काल में शिवजी की पूजा करने से भक्तों को गाय के दान के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण भारत में इसे प्रदोषम् के नाम से जाना जाता है. माता पार्वती और भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखा जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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