Parsava Ekadashi 2021: पार्श्व एकादशी व्रत, जानें व्रत का महत्व, पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

Parsava Ekadashi 2021: इस दिन भगवान के वामन रूप की आराधना की जाती है. वामन देव भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक है. मान्यता है कि इनकी पूजा-अर्चना सच्चे मन से करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

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Parsava Ekadashi 2021: 17 सितंबर शुक्रवार होगी पार्श्व या परिवर्तिनी एकादशी की पूजा
नई दिल्ली:

Parsava Ekadashi 2021: पार्श्व एकादशी 17 सितंबर शुक्रवार 2021 को पूरे देश में मनाई जाएगी. इसे जलझूलनी या डोल ग्यारस एकादशी भी कहा जाता है. देवशयनी एकादशी में भगवान विष्णु 4 महीने के लिए सो जाते हैं और इसीलिए इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है.  कोई भी धार्मिक कार्य, दान दक्षिणा या भक्ति के लिए ये जो 4 महीने है, वो श्रेष्ठ माने जाते हैं. 4 महीने के लिए सोए हुए भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन जागृत होते हैं, लेकिन इन चार महीनों के बीच एक ऐसा समय आता है, जब भगवान विष्णु सोते हुए करवट बदलते हैं. वो समय होता है भादो मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का, जिसे पार्श्व या परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान के वामन रूप की आराधना की जाती है. वामन देव भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक है. मान्यता है कि इनकी पूजा-अर्चना सच्चे मन से करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

पार्श्व या परिवर्तिनी एकादशी के पूजा की विधि

पार्श्व एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. साफ स्वच्छ कपड़े पहनें. जिस स्थान पर आपको पूजा करनी है, उस जगह की सफाई करें और गंगाजल डालकर पूजन स्थल को साफ और पवित्र कर लें. अब पूजा की चौकी लेकर उसमें पीले रंग का कपड़ा बिछा लें. उस चौकी में भगवान लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा विराजित करें. दीया जलाएं और प्रतिमा पर हल्दी, कुमकुम और चंदन लगाकर तिलक करें. अब दोनों हाथ जोड़कर भगवान विष्णु का ध्यान करें और प्रतिमा पर तुलसी के पत्ते और पीले फूल अर्पित करें. अब विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु स्त्रोत का पाठ करें. इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र या उनके नाम का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है. अब भगवान विष्णु की आरती करें और पूजा की विधि खत्म होने के बाद अपने हाथ जोड़कर भगवान विष्णु से पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें. इस दिन पीले फल और मिठाई का भोग लगाया जाता है तो भगवान विष्णु को पीले फल और मिठाई का भोग लगाएं. मान्यता है कि एकादशी के दिन दान, व्रत करना शुभ होता है और इसका पुण्य मिलता है. कहा ये भी जाता है कि भगवान विष्णु एकादशी का व्रत करने से प्रसन्न होते हैं.


पार्श्व या जलझूलनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

पार्श्व एकादशी- 17 सितंबर

पारण का समय- सुबह 6 बजकर 7 मिनट से 6 बजकर 54 मिनट तक (17 सितंबर)

एकादशी व्रत की शुरुआत- 17 सितंबर को सुबह 9 बजकर 36 मिनट से 

पार्श्व एकादशी व्रत समाप्ति- (18 सितंबर) सुबह 8 बजकर 7 मिनट तक 
 

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