Navratri 2021 Day 5: नवरात्रि के पांचवें दिन पूजी जाती हैं स्‍कंदमाता, ये है मां का प्रिय भोग, ऐसे करें पूजा-अर्चना

Navratri 2021: मान्यता के अनुसार स्‍कंदमाता प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं की सेनापति बनी थीं. इस कारण से पुराणों में कुमार और शक्ति कहकर मां की महिमा का वर्णन किया जाता है.

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स्कंदमाता की धूप-दीपक से आरती उतारें. आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें.
नई दिल्ली:

नवरात्रि (Navratri 2021) के पांचवें दिन स्कंदमाता (Skandmata) की पूजा-अर्चना की जाती है. स्‍कंदमाता को वात्‍सल्‍य की मूर्ति कहा गया है. ऐसी मान्‍यता है कि इनकी पूजा करने से संतान योग की प्राप्‍ति होती है. हिन्‍दू मान्‍यताओं में स्‍कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्‍ठात्री देवी मानी गई हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भक्‍त सच्‍चे मन और पूरे विधि-विधान से स्‍कंदमाता की अर्चना करते हैं, उसे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्‍ति होती है.

हिमालय की पुत्री हैं स्कंदमाता

पौराणिक मान्‍यताओं के मुताबिक देवी स्‍कंदमाता ही हिमालय की पुत्री हैं और इस कारण से उन्हें पार्वती कहा गया है. महादेव शिव की पत्‍नी होने के कारण उन्‍हें माहेश्‍वरी के नाम से भी जाना जाता है. इनका वर्ण गौर है इसलिए उन्‍हें देवी गौरी के नाम से भी जाना गया है. मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इस लिए उन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है. भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय की माता होने के फलस्वरूप इनका नाम स्‍कंदमाता पड़ा. मान्यता के अनुसार स्‍कंदमाता प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं की सेनापति बनी थीं. इस कारण से पुराणों में कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया जाता है.

स्‍कंदमाता का स्वरूप

स्‍कंदमाता की चार भुजाएं हैं. दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से उन्‍होंने स्कंद को गोद में पकड़ा हुआ है. नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है. बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा में है और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है. इनका वर्ण एकदम गौर है. ये कमल के आसन पर विराजमान हैं और इनकी सवारी शेर है.

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ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा

नवरात्रि के पांचवें दिन सबसे पहले स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें. अब घर के मंदिर या पूजा स्‍थान में चौकी पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा स्‍थापित करें. गंगाजल से शुद्धिकरण करें. अब एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्‍के डालें और उसे चौकी पर रखें. अब पूजा का संकल्‍प लें. इसके बाद स्‍कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें. अब धूप-दीपक से मां की आरती उतारें. आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें. स्‍कंद माता को सफेद रंग पसंद है. आप श्‍वेत कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से मां निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं.

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मां का प्रिय भोग

स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय है. माता को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें.

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