Mahakumbh 2025 : आखिर कौन होते हैं 'नागा साधु' और कैसा होता है इनका जीवन, आइए जानें

Kumbh mela Prayagraj 2025 : कुंभ मेले में नजर आने वाले नागा साधुओं का समूह लोगों के मन में कई तरह के सवाल खड़े करता है. उनकी विशेष वेश-भूषा देखकर हर कोई उनके रहन-सहन और जीवन के बारे में जानने को लेकर उत्सुक हो उठता है. 

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नागा साधु (Naga sadhu significance) अपनी साधना में इतने व्यस्त होते हैं कि वे समाजिक दूरी बनाए रखते हैं.

Kumbh mela 2025 : हर 12 साल में आयोजित होने वाला  कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है. इस साल यह प्रयागराज में संगम तट के किनारे 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहा है. इस मेले में देश-विदेश से लोग भारतीय संस्कृति को जानने समझने और पवित्र नदी में स्नान करके पुण्य कमाने के लिए आते हैं. कुंभ मेले में नजर आने वाले नागा साधुओं का समूह लोगों के मन में कई तरह के सवाल खड़े करता है. उनकी विशेष वेश-भूषा देखकर हर कोई उनके रहन-सहन और जीवन के बारे में जानने को लेकर उत्सुक हो उठता है. 

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भस्म से सजी देह और आकाश की ओर बढ़ती जटाएं नागा साधु को अनोखा बनाती हैं. जब इनका समूह मेले में निकलता है तो उनका अदभुत रूप देखकर हर कोई दंग हो जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि नागा साधु कौन होते हैं, उनका जीवन कैसे होता है, और वे क्यों इतने प्रसिद्ध हैं.

नागा साधु कौन होते हैं? 

नागा साधु सनातन धर्म के साधक हैं, जिन्हें अखाड़ा के नाम से जाना जाता है. ये साधु निर्वस्त्र रहते हैं. इनका बिना कपड़ों के रहना इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने सांसारिक मोह माया त्याग दिया है. उनका जीवन तप, साधना, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित है. आपको बता दें कि कुंभ मेले में नजर आने वाले नागा साधु अखाड़ों में रहते हैं, जो धार्मिक संगठनों का हिस्सा होता है.

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जैसा की हमने बताया नागा साधु का जीवन तप और साधना के लिए समर्पित होता है. ऐसे में वे पूरे दिन ध्यान और साधना में समय बिताते हैं, जिसमें विशेष रूप से स्नान और पद्मासन (ध्यान की मुद्रा) शामिल हैं. नागा साधु भौतिक चीजों का त्यागकर साधारण जीवन जीते हैं. यह अपने जीवन में प्राकृतिक चीजों का उपयोग करते हैं. 

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नागा साधु अपनी साधना में इतने व्यस्त होते हैं कि वे समाजिक दूरी बनाए रखते हैं. उनका उद्देश्य केवल आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होता है.

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कुंभ मेले में नागा साधु का महत्व

नागा साधुओं के लिए कुंभ मेला एक अवसर होता है, जहां वे एकत्र होकर गंगा स्नान करते हैं, ध्यान करते हैं, और अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करते हैं. नागा साधु दुनिया के सबसे बड़े मेले में तप, साधना की अद्वितीयता को दर्शाते हैं. आपको बता दें कि नागा साधु गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन संगम में स्नान कर अपनी साधना को और ऊर्जावान बनाते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


 

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