कैसे मनाएं भगवान श्री कृष्ण की छठी, जानें पूरी विधि और इसका धार्मिक महत्व? 

Krishna Chhathi 2025: भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के बाद अब कान्हा के भक्त उनकी छठी से जुड़े पावन पर्व को मना रहे हैं. यदि आप अपनी मान्यता और कृष्ण पूजा के आधार पर आज उनकी छठी मना रहे हैं तो उससे जुड़ी विधि और उसका धार्मिक महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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भगवान श्री कृष्ण की छठी पूजा की विधि

Laddu Gopal Ki Chatti 2025: सनातन परंपरा में किसी बच्चे के जन्म के बाद जिस तरह उसकी छठी मनाई जाती है, कुछ वैसे ही कान्हा के भक्त जन्माष्टमी के ठीक छठवें दिन उनका छठी पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. छठी पूजा की परंपरा को निभाने के लिए इस दिन कृष्ण भक्त अपने लड्डू गोपाल को विधि-विधान से स्नान कराने के बाद उन्हें नये वस्त्र पहना कर उनका पूजन करते हैं. आइए जिस छठी माता की पूजा से बच्चे को बुरी नजर नहीं लगती और वह हमेशा खुशहाल रहता है, उसकी पूजा की विधि और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

कैसे करें कान्हा की छठी पूजा 

कान्हा की छठी पूजा करने के लिए लोग अपने पूजा घर को बिल्कुल जन्माष्टमी पर्व की तरह पुष्प और लाइट आदि से सजाते हैं. यदि आप कान्हा की पूजा दोपहर में करना चाहते हैं तो आप इसे अभिजित मुहूर्त में यानि प्रात: 11 बजक 58 मिनट से लेकर 12 बजकर 50 मिनट के बीच में कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपनी आस्था के अनुसार शाम को भी यह पावन पर्व विधि-विधान से मना सकते हैं. 

कान्हा की छठी पूजा करने के लिए सबसे पहले आप तन और मन से पवित्र हो जाएं. इसके बाद अपने लड्डू गोपाल को पंचामृत से फिर उसके बाद गंगाजल या पवित्र जल से स्नान कराए. इसके बाद उन्हें साफ कपड़े से पोछकर नए वस्त्र, आभूषण आदि पहनाएं. कान्हा का श्रृंगार करते समय उन्हें मोर पंख और मुरली अवश्य अर्पित करें. इसके बाद कान्हा को चंदन, केसर, हल्दी आदि से तिलक करें और फल-फूल आदि चढ़कार धूप-दीप दिखाएं. इसके बाद कान्हा को जो भी आपने भोग बनाया हो उसे अर्पित करें और उनके नाम का मंत्र जप करें. 

छठी पर इन चीजों का लगाया जाता है भोग 

कान्हा की छठी की पूजा में भगवान श्री कृष्ण को लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार तमाम चीजों जैसे कढ़ी-चावल, पंचामृत, माखन-मिश्री, फल, मिठाई आदि का भोग लगाते हैं. आप भी इनमें इनमें जो कुछ उपलब्ध हो उसका भोग लगाकर कान्हा को प्रसन्न कर सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि आपका भोग बगैर तुलसी पत्र के अधूरा है. इसलिए भोग के साथ तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं. 

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छठी पूजा का धार्मिक महत्व 

मान्यता है कि जन्माष्टमी के छठवें दिन भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से छठी पूजा करने पर उनकी कृपा भक्तों पर हर समय बनी रहती है. मान्यता है कि छठी माता की पूजा करने पर नवजात शिशु आपदाओं से बचता रहता है, उसी प्रकार कान्हा की छठी पूजा करने पर कृष्ण भक्त भी तमाम बलाओं से पूरे साल बचा रहता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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