मशहूर अभिनेता आशुतोष राणा और राजपाल यादव जिस पार्थिव शिवलिंग की करते हैं पूजा, जानें उसके बड़े लाभ और सरल विधि

Kaise banaye parthiv shivling: सनातन परंपरा में पार्थिव शिवलिंग की पूजा जीवन एवं नवग्रहों से जुड़े सभी दोषों को दूर कर, सुख.सौभाग्य दिलाने वाली मानी गई है। श्रावण मास में पवित्र पार्थिव शिवलिंग की पूजा की सरल विधि और महत्व आदि के बारे में जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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बालीवुड अभिनेता आशुतोष राणा और राजपाल यादव पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते हुए

Parthiv Shivling Puja in Sawan 2025: कल्याण के देवता माने जाने वाले भगवान शिव (Lord Shiva) की साधना श्रावण मास में अत्यधिक फलदायी मानी गई है. सावन (Sawan 2025) के महीने में गंगाधर कहलाने वाले भगवान शिव को कोई भक्त साकार रुप में पूजता है तो कोई उनके निराकार स्वरूप यानि शिवलिंग की पूजा करके पुण्य फल पाने का प्रयास करता है. तमाम तरह के पूजे जाने वाले शिवलिंग में पार्थिव शिवलिंग को अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है. मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के सभी रोग.शोक और पाप दूर होते हैं और उसे सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं. यही कारण है कि क्या आम और क्या खास सभी श्रावण मास में पार्थिव पूजन करने का प्रयास करते हैं. जिस पार्थिव शिवलिंग की जाने.माने अभिनेता और शिवभक्त आशुतोष राणा (Ashutosh Rana) और राजपाल यादव (Rajpal Yadav)लंबे समय से पूजा करते चले आ रहे हैं, आइए उसकी पूजा की विधि और महत्व आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्या होता है पार्थिव शिवलिंग

गंगा (Ganga) अथवा किसी पवित्र सरोवर या स्थान की शुद्ध मिट्टी से बनाए जाने वाले शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहते हैं. जो लोग किसी कारणवश पवित्र शिवालय (Shiva Temple) तक नहीं पहुंच पाते हैं या फिर कहें अपने घर में स्वयं के द्वारा निर्मित शिवलिंग की पूजा करना चाहते हैं, उनके लिए पार्थिव शिवलिंग की पूजा सबसे उत्तम मानी गई है. निश्चित तौर पर हर कोई व्यक्ति अपने आराध्य को हर जगह ले जाकर नहीं पूज सकता है. ऐसे में जिन लोगों को दैनिक शिवलिंग की पूजा करनी है, वे पवित्र मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाकर ही पूजा करते हैं. 

Photo Credit: fbofficialkaushikjimaharaj

 
किसने बनाया था पहला पार्थिव शिवलिंग 

लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत संस्थान के विभागाध्यक्ष प्रो. देवेंद्र मिश्र के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा अनादि काल से चली आ रही है. उनके अनुसार जब से इस सृष्टि का निर्माण हुआ है तब से शिव किसी न किसी रूप में पूजे जाते रहे हैं. देवेंद्र मिश्र के अनुसार शिवलिंग की पूजा का ​यजुर्वेद (Yajurveda in Hindi)में विस्तार से उल्लेख मिलता है. वेदों और पुराणों के अलावा त्रेतायुग में भगवान राम के द्वारा पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले पार्थिव शिवलिंग की विशेष पूजा की थी. इसी प्रकार भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले नर-नारायण ने भी पार्थिव शिवलिंग की पूजा किया करते थे. वहीं कलयुग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा की शुरुआत महर्षि कूष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप द्वारा प्रारंभ की जाने की मान्यता है.

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पार्थिव शिवलिंग की पूजा का फल

पार्थिव शिवलिंग भोग और मोक्ष दोनों का दाता है. प्रो. देवेंद्र मिश्र के अनुसार श्रावण मास में विधि.विधान से पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले साधक को धन-वैभव, आयु और लक्ष्मी मां (Goddess Lakshmi) की विशेष कृपा प्राप्त होती है. पार्थिव शिवलिंग की पूजा सभी मनोरथ और कार्यों को पूर्ण करने वाली है. श्रद्धा और विश्वास के साथ पार्थिव पूजन करने वाला शिव भक्त सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है, अर्थात् उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. शिव पुराण के अनुसार मिट्टी से बना पार्थिव शिवलिंग सभी प्रकार के सुख प्रदान करते हुए शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है. 

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कैसे करें पार्थिव शिवलिंग की पूजा 

सनातन परंपरा में चार वर्णों के लिए श्वेत, लाल, पीली और काली समेत चार प्रकार की मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाने का विधान है. हालांकि आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी प्रकार की पवित्र मिट्टी को पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए उपयोग में ला सकते हैं. पार्थिव शिवलिंग की पूजा के घर का ईशान कोण चुनें. तन और मन से पवित्र होकर सबसे पहले मिट्टी को छान लें और उसमें से कंकड़ निकाल दें. 

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इसके बाद मिट्टी में गंगाजल अथवा शुद्ध जल मिलाकर सान लें और उससे अंगूठे के नाप का शिवलिंग बनाएं. इसके बाद उसे किसी पात्र में रखकर विधि.विधान से शिव की प्रिय चीजों, जैसे गंगाजल, गाय का दूध, पुष्प, पत्र, फल, नैवेद्य आदि से पूजा करें. पार्थिव पूजा का पुण्यफल पाने के लिए अंत में आरती करना न भूलें. शिवलिंग बनाते समय तथा पूजा के दौरान भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र अथवा हराय नम: अथवा महेश्वराय नम: का लगातार मन में उच्चारण करते रहें. पूजा करने के बाद भगवान पार्थिव शिवलिंग को किसी पवित्र सरोवर अथवा नदी में विसर्जित करें. 

किस कामना के लिए कितने पार्थिव शिवलिंग बनाएं

हिंदू मान्यता के अनुसार अलग.अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए अलग.अलग संख्या में पार्थिव शिवलिंग बनाने का विधान है. यदि आप धन, वस्त्र आदि की कामना को पूरा करना चाहते हैं तो आपको कम से कम 500 पार्थिव शिवलिंग बनाना चाहिए. यदि आप किसी बड़ी बाधा या परेशानी से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आपको 1500 शिवलिंग अवश्य बनाना चाहिए. दरिद्रता दूर करने के लिए 5000 और सभी प्रकार की कामनाओं के लिए कम से कम 10000 शिवलिंग अवश्य बनाने चाहिए. वर्तमान में पूज्य संतों के सान्निध्य में कई लाख और करोड़ पार्थिव शिवलिंग बनाने की परंपरा चल रही है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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