घोड़े के मुख वाले आखिर कौन हैं भगवान हयग्रीव, जानें कैसे हुआ इनका अवतार?

Hayagriva Jayanti 2025: सनातन परंपरा में भगवान हयग्रीव की पूजा का क्या महत्व है और इनका पृथ्वी पर कब और किसलिए हुआ था अवतार? घोड़े के मुख वाले देवता की पूजा की विधि और धार्मिक महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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भगवान हयग्रीव की पूजा विधि और उसका धार्मिक महत्व

Hayagriva Jayanti 2025 Puja Vidhi: श्रीहरि के सोलहवे अवतार माने जाने वाले भगवान हयग्रीव की जयंती हर साल श्रावण मास की पूर्णिम को मनाई जाती है. इस साल यह पर्व 08 अगस्त 2025 को यानि आज मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में भगवान हयग्रीव को बुद्धि, विवेक, और विद्या का आशीर्वाद देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है. उत्तर भारत में भगवान हयग्रीव की पूजा कम लेकिन दक्षिण भारत में विशेष रूप से की जाती है. पौराणिक काल से चली आ रही भगवान हयग्री व की पूजा का क्या महत्व है और आज उनकी जयंती पर कैसे करें पूजा, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

हयग्रीव अवतार की कथा 

हिंदू मान्यता से जुड़ी पहली कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) जब माता लक्ष्मी (Goddess Laxmi) को देखकर मुस्कुराने लगे तो उन्हें लगा कि वे उनका उपहास कर रहे हैं. इसके बाद गुस्से में आकर उन्होने उनके सिर को धड़ से अलग हो जाने का श्राप दे दिया. उधर दूसरी तरफ एक हयग्रीव नाम के असुर ने कठिन तप करके ब्रह्मा जी से वरदान मांग लिया कि उसकी मृत्यु सिर्फ उसी के द्वारा ही संभव हो सके.

जब उसे यह वरदान मिल गया तो घोड़े के आकार वाले हयग्रीव असुर ने ब्रह्मा जी (Lord Brahma) से वेदों को छीन लिया और ऋषि-मुनि और देवताओं पर अत्याचार करने लगा. तब ब्रह्मा जी मां भगवती का ध्यान किया. मां भगवती ने उन्हें घोड़े का मस्तक काटकर श्री विष्णु जी के धड़ पर लगाने के लिए कहा. ब्रह्मा जी के द्वारा ऐसा करने पर श्रीहरि का हयग्रीव अवतार हुआ और उन्होंने हयग्रीव नाम के असुर का वध करके वेदों को ब्रह्मा जी को वापस लौटा दिया.

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हयग्रीव अवतार बारे में दूसरी मान्यता है कि एक बार भगवान विष्णु ने यज्ञ पुरुष का रूप धारण करके विश्व का सारा ज्ञान और पुण्य लेकर भाग निकले. तब अन्य देवताओं ने यज्ञ पुरुष का सिर काट दिया. जब यह बात अश्विनी कुमारों को पता चली तो उन्होंने आनन-फानन में उनके सिर पर घोड़े का सिर लगा दिया. जिससे अश्व के आकार वाले देवता यानि हयग्रीव का अवतार हुआ. जिन्हें आज विद्या के देवता के रूप में जाना जाता है. 

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हयग्रीव भगवान की पूजा विधि और उपाय 

हिंदू मान्यता के अनुसार हयग्रीव जयंती पर साधक को स्नान-ध्यान करने के बाद हयग्रीव भगवान के मंदिर में जाकर उनकी मूर्ति के सामने या फिर घर में उनके चित्र को रखकर फल-फूल, धूप-दीप, चंदन, आदि से पूजा करनी चाहिए. आज के दिन भगवान विष्णु का गुणगान करने वाले श्री विष्णुसहस्त्रनाम के पाठ करने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. इसी प्रकार आज किसी पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी चीजों का दान (Daan) करने और अश्व का दर्शन करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है. 

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भगवान हयग्रीव की पूजा का धार्मिक महत्व 

भगवान विष्णु हयग्रीव के नाम की बात करें तो इसमें हय शब्द का अर्थ घोड़ा और ग्रीव शब्द का अर्थ गला है. इन दोनों को मिलाने पर हयग्रीव शब्द बनता है. जिसका अर्थ है घोड़े के गले वाला देवता. चूंकि भगवान हयग्रीव ने वेदों की रक्षा की थी इसलिए इस दिन वेदपाठी लोग उनकी विशेष पूजा करते हैं. भगवान हयग्रीव की पूजा करने पर व्यक्ति पुण्यफल की प्राप्ति और उसका मन धर्म-अध्यात्म में रमता है. मान्यता है कि भगवान हयग्रीव की ​कृपा से साधक को पढ़ाई-लिखाई में विशेष सफलता मिलती है. 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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