Eid al-Fitr 2025: रोजे के बाद क्यों मनाते हैं ईद उल-फितर? जानें मीठी ईद के बारे में सब कुछ

Eid al Fitr: इस्लामिक कैलेंडर में दसवें महीने को 'शव्वाल' कहा जाता है और 'शव्वाल' की पहली तारीख को ईद उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस्लाम धर्म के इस त्योहार के बारे में-

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
ईद का दिन जश्न और खुशी का होता है, जिसमें लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों के साथ खुशियां बांटते हैं.

Eid al-Fitr 2025: ईद उल-फितर इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इसे रमजान के पाक महीने के बाद मनाया जाता है और 'मीठी ईद' या 'रमजाम ईद' भी कहा जाता है.  इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, नौवें महीने में अल्लाह के नाम के रोजे रखे जाते हैं. ये रोजे 29 या 30 दिनों के होते हैं. रोजों के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह सूर्योदय से पहले सहरी के समय खाना खाते हैं. इसके बाद पूरे दिन उपवास रखा जाता है, जिसमें पानी तक पीने की मनाई होती है. शाम में जब सूर्यास्त हो जाता है, तब ईफ्तारी में कुछ खाकर रोजा खोला जाता है. इस तरह 29 या 30 रोजे रखे जाते हैं. वहीं, आखिरी रोजे की ईफ्तारी के बाद चांद का दीदार कर ईद उल-फितर का पर्व मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस्लाम धर्म के इस त्योहार के बारे में सब कुछ.

क्यों रखे जाते हैं रोजे?

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, साल 610 के नौवें महीने में मोहम्मद साहब को लेयलत उल-कद्र के मौके पर पवित्र कुरान शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ था. ऐसे में नौवें महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह के नाम का रोजा रखते हैं.

Ramadan 2025 Roza Schedule: इस साल 29 या 30 कितने दिन का होगा रमजान, जानिए भारत में कब मनाई जाएगी ईद 

रोजे के बाद क्यों मनाई जाती है मीठी ईद?

इस्लामिक कैलेंडर में दसवें महीने को 'शव्वाल' कहा जाता है. नौवें महीने में रोजे रखने के बाद आखिरी रोजे की ईफ्तारी के बाद चांद का दीदार किया जाता है. इसके बाद 10वें महीने यानी 'शव्वाल' की पहली तारीख को ईद उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से मीठे पकवान बनाए जाते हैं. ऐसे में इसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है.

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रोजा केवल भूखे और प्यासे रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह अपनी इच्छाओं को काबू में रखने और अल्लाह के करीब जाने का जरिया है. रमजान का महीना आत्मसंयम, सहनशीलता और आध्यात्मिक शुद्धि का महीना होता है. ऐसे में जब रमजान समाप्त होता है, तो अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के लिए ईद मनाई जाती है. यह इस बात का प्रतीक है कि रोजे रखने वाले लोग आत्मसंयम और त्याग की परीक्षा में सफल हुए. 

इस्लाम धर्म में माना जाता है कि रमजान के दौरान रोजे रखने और इबादत करने से इंसान के सभी छोटे-छोटे गुनाह माफ हो जाते हैं. ऐसे में ईद का दिन जश्न और खुशी का होता है, जिसमें लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों के साथ खुशियां बांटते हैं.

Advertisement

इससे अलग एक मान्यता यह भी है कि 624 ईस्वी में पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी. तब अपनी सफलता की खुशी में उन्होंने लोगों का मुंह मीठा कराया था और पहली बार पैगंबर मुहम्मद ने ही ईद मनाई थी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Advertisement

Featured Video Of The Day
Nepal Interim PM: अंतरिम प्रधानमंत्री को लेकर देर रात तक मंथन, आज सामने आ सकता है नाम