हर वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत (Sakat Chauth Vrat) रखा जा जाता है, जो इस बार 21 जनवरी यानि आज है. सकट चौथ को कई जगहों पर संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. बहुत से लोग इसे तिलकुट चौथ, तिलकुट और माघी चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं. सकट चौथ के दिन भगवान गणेश का विधि-विधान से पूजन किया जाता है. उसके बाद चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देते हुए व्रत का पारण किया जाता है. बता दें कि प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी आती हैं, लेकिन माघ माह की चतुर्थी को बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है.
सकट चौथ के दिन तिल और गुड़ से बनी चीजें बनाई जाती हैं और उसका भोग भगवान गौरी गणेश (Lord Ganesha) को लगाया जाता है. यह व्रत संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है. सकट चतुर्थी का व्रत रखते हुए कुछ विशेष सावधानी रखनी चाहिए. आइए जानते है कौन-कौन सी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
गणेश चतुर्थी व्रत के दौरान न करें ये गलतियां | Do Not Do These Mistakes During Ganesh Chaturthi Fast
शास्त्रों में गौरी गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है और उन्हें शुभता का प्रतीक कहा गया है. मान्यता है कि जहां श्री गणेश की कृपा होती है, वहां कभी अमंगल नहीं होता, इसलिए गणपति की पूजा के दौरान पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें. इन्हें शुभ माना जाता है. काले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने का विचार भी मन में न लाएं. शास्त्रों में काले रंग के वस्त्रों को पूजा के दौरान पहनना वर्जित बताया गया है.
गणेश चतुर्थी के व्रत में शाम को गणपति की पूजा करने के बाद चंद्र दर्शन करने का विधान है, इसलिए अपने व्रत का पारण चंद्र दर्शन से पहले न करें. सकट व्रत तभी पूरा होता है जब भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चांद के दर्शन करते हुए उन्हें अर्घ्य दिया जाए. चंद्र दर्शन करते समय चंद्रमा को अर्ध्य जरूर दें.
सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उन्हीं के लिए व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव की ही तरह भगवान गणेश को भूलकर भी तुलसी नहीं चढ़ाएं. भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए दुर्वा अर्पित करें.
सकट पूजा में चंद्रमा को जल में दूध और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दिया जाता है, लेकिन अर्घ्य देते समय ध्यान दें कि अर्घ्य के जल की छींटे पैरों पर नहीं पड़नी चाहिए. इससे बचने के लिए आप नीचे गमला या बाल्टी रख लें. अगले दिन इस पानी को किसी गमले में या पेड़ पौधों में डाल दें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)