गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा में होता है अंतर, दोनों ही दिनों का है अपना खास महत्व

Ganga Saptami: जल्द ही गंगा सप्तमी मनाई जाने वाली है. ऐसे बहुत से लोग हैं जो गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा को एक समझते हैं, लेकिन इन दोनों दिनों का अपना अलग-अलग महत्व होता है. 

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Ganga Saptami And Ganga Dussehra: गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा होते हैं अलग-अलग.

Ganga Saptami: गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा पर मां गंगा की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. परंतु, इन दोनों ही दिनों में बेहद अंतर होता है. सिर्फ दिन मनाने से जुड़े ही नहीं बल्कि गंगा मां (Ma Ganga) की पूजा में भी खासा विशिष्ट अंतर दिखाई देता है. वहीं, गंगा सप्तमी का पर्व 27 अप्रैल के दिन पड़ रहा है और गंगा दशहरा 30 मई के दिन मनाया जाएगा. जानिए इन दोनों दिनों के बीच क्या है अंतर और किस तरह गंगा दशहरा और गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) एक दूसरे से हैं अलग. 

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गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा में अंतर | Difference Between Ganga Saptami And Ganga Dussehra 

पौराणिक मान्यताओं के आधार पर गंगा सप्तमी को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मनाया जाता है. इस दिन मां गंगा का जन्मोत्सव होता है. माना जाता है कि इस दिन मां गंगा ब्रह्म देव के कमंडल से जन्मी थीं. गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) को शास्त्रों में मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का दिन माना जाता है. मां गंगा इसी दिन पृथ्वी पर आई थीं. इस दिन को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाते हैं. 
वह गंगा सप्तमी का ही दिन था जब मां गंगा स्वर्ग में प्रकट हुई थीं और गंगा दशहरा वह दिन था जब उन्होंने पृथ्वी पर अवतरण किया था. 

गंगा सप्तमी के दिन मान्यतानुसार मां गंगा ने अपने जल से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के चरण वंदना किए थे. इसके पश्चात ही मां गंगा ने विष्णु भगवान के लोक में अपना स्थान पाया था. इसी के विपरीत गंगा दशहरा के दिन मां गंगा ने पृथ्वी पर जाते समय भोलेनाथ की जटाओं में अपना वेग स्थापित किया था और फिर पृथ्वी पर आईं. 

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गंगा सप्तमी की पूजा 

इस वर्ष 27 अप्रैल के दिन गंगा सप्तमी पड़ रही है. सप्तमी तिथि का आरंभ 26 अप्रैल के दिन सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर हो जाएगा और इसका समापन अगले दिन दोपहर 1 बजकर 38 मिनट पर होने वाला है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार गंगा सप्तमी 27 अप्रैल के दिन ही मनाई जाएगी. इस दिन विशेषकर हरिद्वार में गंगा जन्मोत्सव (Ganga Janmotsav) मनाया जाता है और ढोल नगाड़ों के साथ धूमधाम से गंगा सप्तमी की शोभ यात्रा निकाली जाती है. मां गंगा की पालकी लेकर भक्त पूरे शहर के चक्कर लगाते हैं और आरती से पहले मां गंगा की पालकी को पौड़ी ब्रह्माकुंड घाट ले जाती हैं. कहते हैं इस दिन मां गंगा की पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं मां गंगा पूरी करती हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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