अंकित श्वेताभ: हर साल कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का पर्व मनाया जाता है. चार दिनों तक मनाया जाने वाला ये पर्व हिन्दू लोक आस्था से जुड़ा एक बड़ा पर्व है. इसे महापर्व का दर्जा दिया गया है. छठ का व्रत (Chhath Parv) सबसे कठीन व्रतों में से एक है. इस दौरान व्रती 30 घंटे से भी ज्यादा समय के लिए निर्जला व्रत करके छठी मईया (Chhath Mata) और भगवान सूर्य (Lord Surya) की उपासना करते हैं. अंतिम दिन सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना व्रत खोलते हैं. इस साल 17 नवंबर 2023 से छठ महापर्व की शुरुआत हुई है जो 20 नवंबर 2023 को सुबह के अर्घ्य के साथ खत्म होगी. मान्यता है कि जो भी इस व्रत को पूरी शुद्धता, पवित्रता और साफ-सच्चे मन से करता हैं, उसकी सभी मनोकामनाएं छठी मईया पूरी करती हैं. कई लोगों को छठी मईया की उत्पत्ति और उनसे जुड़ी कहानी के बारे में नहीं पता है. आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं छठी मईया और क्या हैं उनसे जुड़ी मान्यता.
छठ पूजा की महिमा (Importance of Chhath Puja)
छठ पूजा व्रत की महिमा का बखान पौराणिक कथाओं के साथ-साथ वैदिक पंचाग में भी देखने को मिलता है. इसे हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत माना गया है क्योंकि इसी एक व्रत में व्रती लगातार 36 घंटे तक निर्जला रहते हैं. भले ही छठी मईया की उपासना कठीन हैं , लेकिन साथ ही ये उतनी ही फलदायी मानी गई है. इस व्रत को संतान की लंबी उम् के लिए, अच्छी सेहत के लिए, घर और पूरे परिवार की रक्षा के लिए,सुख-समृद्धि के लिए और धन-धान्य के लिए सबसे अधिक फलदायी माना गया है. ग्रथों की माने तो महाभारत काल में जब अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को छठी माता का व्रत रखने की सलाह दी थी. इस व्रत की महिमा उस काल से भी पहले से चलती आ रही हैं.
छठी मैया से जुड़ी कहानी (Story related to Chhath Mata)
हिन्दू पौराणिक कथाओं की मानें तो छठी मईया भगवान सूर्य की बहन है और ब्रह्मदेव की मानस पुत्री है. श्रीमद् भागवत महापुराण में भी छठी मईया के बारे में बताया गया है. इसके अनुसार प्रकृति के छठे अंश से छठी मईया प्रकट हुई. पुराणों में माता के पति कार्तिकेय भगवान को बताया गया है. मतलब छठी मईया महादेव की बहू हैं. पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि छठी मईया संतान प्राप्ति और प्रकृति की देवी है. मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे तब उन्होंने स्वयं को दो भाग में बांटा था. एक भाग पुरुष और दूसरा भाग प्रकृति के रूप में बांटा. इसके बाद प्रकृति ने भी खुद को 6 भागों में बांटा, जिसमें से एक मातृ देवी हैं. छठी मईया को मातृ देवी का भी छठा रूप माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)