भाद्रपद मास की पूर्णिमा को बन रहे हैं ये पांच खास संयोग, जानें डेट, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में भाद्रपद मास (bhadrapad) पर पड़ने वाली पूर्णिमा का खास महत्व होता है और इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत भी होती है.

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Purnima 2023 " भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा करने के लिए सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करें.

Bhradrapada Purnima 2023: गणपति विसर्जन के साथ ही श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाएंगे, इसकी शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होती है.हिंदू धर्म में इस दिन का खास महत्व होता है, इस दिन दान आदि करने का विशेष महत्व होता है और अपने पितरों के लिए पूजा अर्चना भी की जाती है. ऐसे में इस साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा कब पड़ रही है, इस दिन कैसे संयोग बना रहे हैं और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का सही समय क्या है आइए हम आपको बताते हैं.

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इस दिन पड़ेगी भाद्रपद मास पूर्णिमा 

इस साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा 29 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी, कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ भगवान शिव की आराधना भी करनी चाहिए. ऐसा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं, इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करके एक धतूरा और कुछ बेलपत्र उन्हें चढ़ाने चाहिए. इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और इस दिन मां लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित करने से आर्थिक तंगी दूर होती है.

भाद्रपद मास पूर्णिमा शुभ मुहूर्त और संयोग 

इस साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा 28 सितंबर को शाम को 6:49 से शुरू हो जाएगी, जो कि 29 सितंबर को दोपहर 3:26 तक रहेगी. ऐसे में पूर्णिमा का व्रत 28 सितंबर के दिन ही किया जाना चाहिए और 29 सितंबर के दिन दान आदि करना चाहिए. इस दिन 5 विशेष संयोग बना रहे हैं. पहले तो पूर्णिमा शुक्रवार के दिन है और ये दिन धन की देवी लक्ष्मी का प्रिय दिन होता है, इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग, वृद्धि योग, ध्रुव योग और अमृत सिद्धि योग भी इस खास दिन पर बन रहा है.

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ऐसे करें भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा 

भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा करने के लिए सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करें, इसके बाद घर के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करें. दीप प्रज्वलित करें और अगर हो सके तो उस दिन व्रत भी रखें. देवी देवताओं का जल अभिषेक करें, भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का इस दिन खास महत्व होता है. इसके साथ माता लक्ष्मी और भगवान सत्यनारायण की भी विधि-विधान से पूजा अर्चना करें. सत्यनारायण जी को पंजीरी, पंचामृत और चूरमे का भोग लगाएं. इसके बाद इस प्रसाद को अपने आसपास के लोगों में वितरित करें, पूर्णिमा के दिन जरूरतमंदों को दान आदि करने का भी विशेष महत्व होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
 

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