Angarki Chaturthi 2021: विनायक चतुर्थी पर बन रहा है अंगारकी चतुर्थी का संयोग, जानिए व्रत का महत्व

Angarki Chaturthi: भगवान श्री गणेश (Shri Ganesh) को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का पूजन करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है.

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नई दिल्ली:

प्रथम पूजनीय भगवान गणेश जी को चतुर्थी तिथि समर्पित है. हर माह की चतुर्थी तिथि को भगवान गौरी गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन गणपति महाराज का व्रत (Ganpati Vrat) रखने से भक्तों के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं. साथ ही श्री गणेश महाराज प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं व उनकी हर मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं. बता दें कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2021) और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2021) के नाम से जाना जाता है. वहीं, मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि होने के कारण से इसको अंगारकी चतुर्थी भी कहा जाता है. इस माह विनायक चतुर्थी 7 दिसंबर यानि आज के दिन मनाई जा रही है.

Vinayaka Chaturthi 2021: आज है मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

हिंदू धर्म के मुताबिक, हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है. यदि विनायकी चतुर्थी का ये व्रत मंगलवार को आता है, तो इसे अंगारक गणेश चतुर्थी कहते हैं. 13 जुलाई के बाद 7 दिसंबर को ये संयोग बन रहा है. इसके बाद अगले साल 5 अप्रैल 2022 को ये संयोग फिर बनेगा. आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.

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इस मंत्र का करें जप

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।


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अंगारकी चतुर्थी महत्व | Angarki Chaturthi Significance

अंगारकी नाम का एक संत भगवान गणेश का परम भक्त था. वह ऋषि भारद्वाज और मां पृथ्वी का पुत्र था. अंगारकी ने भगवान गणेश की घोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर गौरी गणेश उनके सामने प्रगट हुए और मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा. इस पर संत अंगारकी ने कहा, भगवान मैं हमेशा आपकी शरण में रहना चाहता हूं. भगवान गणेश ने एवमस्तु कहा. उन्होंने कहा कि जब भी मंगलवार को चतु्र्थी पड़ेगी उसे अंगारकी नाम से जाना जाएगा. अंगारकी को भगवान मंगल के नाम से भी जानते हैं. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं.

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विनायक चतुर्थी पर भगवान गणपति की पूजा

अंगारकी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. मान्यता है कि द्विजप्रिय गणपति के स्वरूप में भगवान गणेश के चार मस्तक और चार भुजाएं हैं. माना जाता है कि भगवान गणेश के इस स्वरूप की अराधना करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं. मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणपति की पूजा विधि-विधान से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. चतुर्थी के दिन का व्रत बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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