Ahoi Ashtami 2025: करवा चौथ जैसा कठिन है अहोई अष्टमी का व्रत, जानें आज तारों को कब दिया जाएगा अर्घ्य?

Ahoi Ashtami 2025: करवा चौथ व्रत की तरह अहोई अष्टमी का व्रत भी बेहद कठिन माना जाता है. इस व्रत में संतान के सुख-सौभाग्य की कामना रखते हुए महिलाएं पूरे दिन व्रत रखते हुए अहोई माता की पूजा की करती हैं. इस व्रत में स्याहु की माला क्यों पहनी जाती है और आज किस समय दिया जाएगा तारों को अर्घ्य, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

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Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी व्रत 2025 पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त 
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Ahoi Ashtami 2025 Significance:  हिंदू धर्म में कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रखे जाने वाले अहोई अष्टमी व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. अहोई का अर्थ होता है अनहोनी को टालने वाला है. इस व्रत में माता पार्वती (Goddess Parvati)  की पूजा अहोई देवी के रूप में होती है. यह व्रत तमाम तरह की विपदाओं को टालते हुए संतान को लंबी आयु और सुख-सौभाग्य दिलाता है. लोक परंपरा में इस व्रत को अहोई आठें भी कहा जाता है. इस व्रत में महिलाएं विशेष रूप से स्याहु की माला पहनती हैं और शाम के समय तारों को अर्घ्य देती हैं. आइए इस व्रत से जुड़ी परंपरा और शुभ मुहूर्त आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.

तारों की छांव में कब दिया जाएगा अर्घ्य

अहोई अष्टमी व्रत में पूरे दिन व्रत रखते हुए महिलाएं सांझ के समय तारों के निकलते ही उन्हें विशेष अर्घ्य प्रदान करती हैं. तारों को अर्घ्य देने से पहले अहोई माता की विधि-विधान से पूजा की जाती है और उनकी महिमा का गुणगान करने वाली कथा को पढ़ा या सुना जाता है. आज अहोई माता की पूजा 05:33 से लेकर 06:47 बजे के बीच रहने वाले शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है. अहोई माता का यह व्रत तारों को अर्घ्य देने और अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेने के साथ पूरा होता है. पंचांग के अनुसार आज तारों को अर्घ्य देने के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त 05:56 बजे रहेगा. वहीं आज चंद्रोदय रात को 11:08 बजे होगा.

स्याहु की माला का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म से जुड़ी महिलाएं अहोई अष्टमी वाले दिन विशेष रूप से छोटी-छोटी मोतियों और चांदी से बनी स्याहु (Syahu Mala) की माला पहनती हैं. जिसके पीछे मान्यता है कि इसे पहनने से अहोई माता प्रसन्न होती हैं और संतान को सुख-सौभाग्य प्रदान करती हैं. इस माला को धारण करने से पहले इसे अहोई माता को अर्पित करके उसका पूजन किया जाता है.

अहोई अष्टमी व्रत से जुड़े नियम एवं परंपराएं

  • अहोई अष्टमी जिसे संतान की लंबी आयु दिलाने वाला व्रत माना जाता है, उस दिन मथुरा के राधाकुंड में रात्रि के समय विशेष स्नान किया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार राधा कुंड में निशिता काल में डुबकी लगाने पर राधारानी की कृपा से संतान सुख की कामना पूरी होती है.
  • अहोई अष्टमी व्रत वाले दिन महिलाओं को दूध और दूध से बनी चीजों का न तो सेवन और न ही उनको स्पर्श करना चाहिए.
  • अहोई माता की पूजा शाम के समय करनी चाहिए और उन्हें प्रसन्न करने के लिए उन्हें पूजा में 8 पूड़ी, 8 मालपुआ और चावल का भोग लगाना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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