NDTV Explainer : जिस न्यूक्लियर एनरिचमेंट के कारण ईरान बना निशाना, वो होता क्या है?

Uranium-238 अपने दूसरे आइसोटोप Uranium-235 से करीब 1% भारी होता है. इसी अंतर का फायदा उठाते हुए दोनों को अलग किया जाता है. यूरेनियम को पहले फ्लोरीन के साथ मिलाकर गैस में बदला जाता है जिसे यूरेनियम हैक्साफ्लोराइड यानी UF6 कहा जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

ईरान से इजरायल और अमेरिका को सबसे बड़ा खतरा ये रहा है कि वो कहीं बम बनाने लायक यूरेनियम तैयार न कर ले. यही वजह है कि अमेरिका ने ईरान के उन तीन परमाणु ठिकानों पर भयानक हमले किए जहां ईरान ने यूरेनियम का रॉ मैटीरियल और वो सेंट्रीफ्यूज छुपाए हुए थे, जो यूरेनियम एनरिचमेंट करने यानी बम लायक यूरेनियम तैयार करने के काम आते हैं. क्या है यूरेनियम एनरिचमेंट का ये पूरा मामला? आइए सिलसिलेवार समझते हैं.

यूरेनियम क्या है?
यूरेनियम एक एलिमेंट यानी तत्व है जो धरती पर कई जगह पाया जाता है. यूरेनियम Ore जब खनन से निकाला जाता है तो वो कुछ ऐसा दिखता है. पीलापन लिए हुए. लेकिन इस यूरेनियम का ऊर्जा के लिए इस्तेमाल किया जा सके. इसके लिए इसे प्रोसेस किया जाना ज़रूरी है. पहले चरण में जब इसे purify यानी शुद्ध किया जाता है. तो ये एक यैलो केक या पीले पाउडर की तरह दिखता है. इसका ऐसा पीला रंग यूरेनियम ऑक्साइड के कारण आता है.

कब हथियार बनाने लायक बन जाताा है यूरेनियम?

यूरेनियम एक भारी रेडियोएक्टिव धातु है, जो पीरियॉडिक टेबल में काफी नीचे आती है. यूरेनियम दो प्रकार के होते हैं जिन्हें यूरेनियम आइसोटोप्स कहते हैं. Uranium 238 और Uranium 235. जब यूरेनियम का खनन किया जाता है तो उसमें 99.27% Uranium 238 होता है, जबकि सिर्फ़ 0.72% ही Uranium 235 होता है. इसे जब शुद्ध किया जाता है तो Uranium 235 की मात्रा बढ़ती है. 5% होने पर Low enriched uranium होता है जिसे रिएक्टर में इस्तेमाल किया जा सकता है. 20% से ज़्यादा को हाई एनरिच्ड यूरेनियम बोलते हैं और अगर 90% तक शुद्ध हो जाए तो ये हथियार लायक यूरेनियम बन जाता है.

Advertisement

भारी ऊर्जा निकलती है
Uranium 238 के मुक़ाबले Uranium 235 कहीं ज़्यादा रेडियोएक्टिव होता है. यानी उसका विखंडन बहुत तेज़ी से होता है जिसे न्यूक्लियर फिशन कहा जाता है. इस प्रक्रिया में भारी ऊर्जा निकलती है, जिसे अगर काबू न किया जा सके तो परमाणु दुर्घटना हो सकती है. इसी रेडियोएक्टिव गुण का इस्तेमाल यूरेनियम से बिजली बनाने या बम बनाने में किया जाता है. सारी लड़ाई इसी बात को लेकर है.

Advertisement

Uranium से अधिक से अधिक Uranium 235 निकालने को ही एनरिचमेंट कहा जाता है. इसके लिए Centrifuges का इस्तेमाल किया जाता है. Centrifuge इस तरह की Cylindrical यानी बेलनाकार मशीन होती हैं. यूरेनियम एनरिचमेंट के लिए ऐसी कई मशीन सीरीज़ और पैरालल में लगी होती हैं. ईरान के फोर्डो और नतांज के परमाणु ठिकानों में यहीं Centrifuge मशीनें लगी हुई थीं जिन्हें अमेरिका ने निशाना बनाया.

Advertisement

Uranium-238 अपने दूसरे आइसोटोप Uranium-235 से करीब 1% भारी होता है. इसी अंतर का फायदा उठाते हुए दोनों को अलग किया जाता है. यूरेनियम को पहले फ्लोरीन के साथ मिलाकर गैस में बदला जाता है जिसे यूरेनियम हैक्साफ्लोराइड यानी UF6 कहा जाता है. फिर इस गैस को सेंट्रीफ्यूज में डाला जाता है और फिर सेंट्रीफ्यूज के अंदर रोटर काफ़ी तेज़ी से घूमते हैं. यूरेनियम 238 भारी होने के कारण सेंट्रीफ्यूज के बाहरी हिस्सों में आ जाती है और यूरेनियम 235 हल्के होने के कारण बीच में रह जाती है. इसे कुछ आप ऐसे समझ सकते हैं जैसे मथनी से दूध को मथकर मक्खन अलग निकाल लिया जाता है. सैद्धांतिक तौर पर प्रक्रिया वही है. तो बीच में रह गए यूरेनियम 235 को यहां से निकालकर अगले सेंट्रीफ्यूज में डाला जाता है जहां इसी प्रकिया को दोहराया जाता है. अगर कुछ यूरेनियम 238 बचा रह गया हो तो इस सेंट्रीफ्यूज़ में वो बाहर की ओर छिटक जाती है और यूरेनियम 235 और शुद्ध होकर बीच में रह जाती है.
यूरेनियम को लगातार एनरिच किया जाता है

Advertisement

 इसके बाद अगले कई सेंट्रीफ्यूज में इसी तरह ये प्रक्रिया दोहराई जाती है और यूरेनियम को लगातार एनरिच किया जाता है. 3 से 5% तक शुद्ध Uranium-235 न्यूक्लियर रिएक्टर में काम आता है जिससे नागरिक इस्तेमाल के लिए बिजली बनाई जाती है. लेकिन अगर यूरेनियम को 90% तक एनरिच कर दिया जाए तो वो परमाणु हथियार बनाने में इस्तेमाल की जा सकती है, क्योंकि वो बहुत ही unstable होती है और यही गुण उसके बम बनाने के काम आता है. IAEA के मुताबिक ईरान के पास 60% तक Enriched Uranium भारी मात्रा में थी और वो 80% तक भी यूरेनियम शुद्ध कर चुका था, जो बम बनाने के काफी करीब था.

Featured Video Of The Day
Etawah Kathavachak में Akhilesh Yadav को Deputy CM Keshav Maurya का जवाब | UP News | BJP | Samajwadi
Topics mentioned in this article