सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे दिल्‍ली की जनता की गुहार... सीएम ने पुराने वाहनों को बंद करने के मामले पर कहा

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि हमारे पर्यावरण मंत्री ने CAQM को पत्र लिखा है. हम सुप्रीम कोर्ट के सामने दिल्ली की जनता की गुहार रखेंगे और यह बताएंगे कि हमने प्रदूषण कम करने को लेकर क्या-क्या कदम उठाए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
नई दिल्‍ली :

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पुरानी गाड़ियों को ईंधन नहीं देने के फैसले को लेकर कमीशन फॉर एयर क्‍वालिटी मैनेजमेंट (Commission for Air Quality Management) को लिखे पत्र के बाद एक बड़ा बयान दिया है. सीएम ने कहा कि हमारे पर्यावरण मंत्री ने CAQM को पत्र लिखा है. हम सुप्रीम कोर्ट के सामने दिल्ली की जनता की गुहार रखेंगे और यह बताएंगे कि हमने प्रदूषण कम करने को लेकर क्या-क्या कदम उठाए हैं. हम दिल्ली के हक की लड़ाई लड़ेंगे. जब पूरे देश में एक पैरामीटर चलता है तो वही दिल्ली में भी लागू हो. उन्‍होंने कहा कि सरकार अपना काम करे, प्रशासन अपना काम करे, लेकिन जनता को कष्ट ना हो, यही हमारा ध्येय है.

इससे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर इस फैसले पर आपत्ति जताई और कहा कि दिल्ली ऐसे किसी प्रतिबंध के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने लिखा कि लोगों की भावनाएं गाड़ियों से जुड़ी होती हैं और मध्यम वर्ग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा वाहन खरीदने में लगाता है. उपराज्यपाल ने सुझाव दिया कि सरकार कोर्ट में समीक्षा याचिका दाखिल करे और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए समग्र योजना बनाए. साथ ही पुरानी गाड़ियों को CNG या इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए प्रोत्साहन अभियान चलाने की बात भी अपने पत्र में की है.  

अधिनियम की भावना से मेल नहीं खाता आदेश: LG

सक्सेना ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 और नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल (National Green Tribunal) के 2014 के आदेशों में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों को हटाने की बात की गई थी, लेकिन यह आदेश केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 59 की भावना से मेल नहीं खाता, जो पूरे देश में समान रूप से लागू होता है. उन्होंने तर्क दिया कि यदि एक वाहन दिल्ली में 10 साल पुराना होकर अवैध हो जाता है, लेकिन वही वाहन मुंबई, चेन्नई या अहमदाबाद में वैध रूप से चल सकता है तो यह तार्किक नहीं है.

उपराज्यपाल ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि केवल उम्र के आधार पर किसी वाहन को एंड ऑफ लाइफ घोषित करना न केवल तकनीकी रूप से गलत है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अन्यायपूर्ण है.

औने-पौने दाम में बेची गाड़ी, अब ठगे जाने सा अहसास

इससे पहले दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई से पूरे दिल्ली में 10 साल पुरानी डीजल गाड़ी और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ी को ईंधन नहीं देने का फैसला लिया था, जिसे दो दिन बाद ही वापस ले लिया गया. इस फैसले के चलते लोगों में भारी असमंजस और गुस्सा था. खासतौर पर उन लोगों को नुकसान हुआ जिन्होंने जल्दबाजी में अपनी पुरानी गाड़ियां औने-पौने दाम में बेच दीं. पूर्वी दिल्ली के कारोबारी नितिन गोयल ने अपनी 65 लाख की लैंडरोवर सिर्फ 8 लाख में और 40 लाख की मर्सिडीज़ सवा चार लाख में बेच दी, लेकिन अब जब फैसला रद्द कर दिया गया है तो वह खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

इस फैसले के दौरान दिल्ली में लगभग 60 लाख पुरानी गाड़ियां चिह्नित की गई थीं, लेकिन सिर्फ 87 गाड़ियों को सीज किया गया. जबकि CAQM का दावा हैं कि जब ट्रायल किया गया तो 3.63 करोड़ में से 4.9 लाख पुरानी गाड़ियां पहचानी गई. इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह फैसला बिना जमीनी तैयारी के लागू किया गया था. आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार अपने ही फैसलों के जाल में फंस गई है और जल्दबाज़ी में निर्णय लेकर जनता को भ्रमित कर रही है. 

Advertisement

ऑटो कंपनियों को फायदा पहुंचाने का भी आरोप

इसी बीच एक रिपोर्ट में सामने आया है कि जून 2025 में देश में गाड़ियों की बिक्री में गिरावट आई है. मारुति, हुंडई और टाटा जैसी बड़ी कंपनियों की बिक्री पिछले साल की तुलना में घटी है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने यह फैसला ऑटो कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया ताकि लोग पुरानी गाड़ियां बेचकर नई गाड़ियां खरीदें. दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बीजेपी सरकार ऑटो इंडस्ट्री के साथ मिलकर मिडिल क्लास को नई गाड़ियां खरीदने पर मजबूर कर रही है.

पेट्रोल पंप संचालकों ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया ने कहा कि फैसला लागू करने से पहले जमीन पर कोई तैयारी नहीं थी, न ही कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए.

Advertisement

बता दें कि दिल्ली में 26 साल बाद बनी बीजेपी सरकार प्रदूषण को लेकर कई फैसले ले रही है, लेकिन बिना तैयारी और संवाद के लिए गए फैसले जनता को राहत देने की बजाय परेशानी में डाल रहे हैं. दो दिन में फैसला पलटना यह दिखाता है कि सरकार जल्दबाज़ी में निर्णय ले रही है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
 

Featured Video Of The Day
Netanyahu करेंगे UN में बवाल? Trump का Secret Plan बदलेगा खेल? | Israel Palestine War | Gaza Update
Topics mentioned in this article