दिल्ली दंगा केस: शरजील इमाम, उमर खालिद को अभी राहत नहीं, SC ने जमानत याचिका 19 सितंबर तक स्थगित की

हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि संविधान नागरिकों को विरोध प्रदर्शन या आंदोलन करने का अधिकार देता है, बशर्ते कि वे व्यवस्थित, शांतिपूर्ण और बिना हथियारों के हों और ऐसी कार्रवाई कानून के दायरे में होनी चाहिए.

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उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई.
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  • SC ने दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद समेत चार आरोपियों की जमानत याचिकाओं की सुनवाई 19 सितंबर तक स्थगित की
  • दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
  • खालिद, शरजील इमाम और अन्य पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज है.
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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा की जमानत की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई 19 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है. यह मामला जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच के सामने सूचीबद्ध किया गया था. जस्टिस अरविंद कुमार ने इन मामलों पर आज यानी 12 सितंबर को सुनवाई करने में कठिनाई व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें फाइलें रात में 2.30 बजे जाकर ही मिलीं. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, डॉ अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह आदि पैरवी कर रहे हैं.

इन सभी आरोपियों ने 2 सितंबर के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

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दिल्ली HC ने किया था जमानत देने से इनकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में खालिद और शरजील इमाम समेत 9 आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते हुए  कहा था कि प्रदर्शनों की आड़ में नागरिकों को षड्यंत्रकारी हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती. बता दें कि इन कार्यकर्ताओं में खालिद, इमाम, फातिमा, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल हैं. वहीं एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका को हाई कोर्ट की  एक अन्य बेंच ने खारिज कर दी थी.

आंदोलन करने का अधिकार, लेकिन...

हाई कोर्ट ने कहा था कि संविधान नागरिकों को विरोध प्रदर्शन या आंदोलन करने का अधिकार देता है, बशर्ते कि वे व्यवस्थित, शांतिपूर्ण और बिना हथियारों के हों और ऐसी कार्रवाई कानून के दायरे में होनी चाहिए. खालिद, इमाम और अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के मुख्य षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था. दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे.

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. आरोपी 2020 से जेल में हैं और उन्होंने अपनी जमानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था.

इनपुट- भाषा के साथ

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