- SC ने आवारा कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्हीं इलाके में छोड़ने का आदेश दिया है, जहां वे पाए जाते हैं.
- रेबीज और आक्रामक कुत्तों को छोड़ने की अनुमति नहीं होगी तथा ऐसे कुत्तों के लिए विशेष प्रावधान लागू होंगे.
- आवारा कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें जवाब देना होगा.
Supreme Court on Stray Dog : स्ट्रीट डॉग लवर्स को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर अपने पिछले आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि वैक्सीनेशन के बाद कुत्तों को उन्हीं के इलाके मे छोड़ा जाएगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आवारा कुत्तों को लेकर कुछ 'लक्ष्मण रेखा' भी खींच दी है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि रेबीज और अग्रेसिव कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा. साथ ही आवारा कुत्तों को पकड़ने में बाधा डाली, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
...तो देना होगा 2 लाख रुपये
आवारा कुत्तों को लेकर नेशनल पॉलिसी बनाई जाएगी, जिसे पूरे देश में लागू किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस लेकर देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर 8 हफ्ते में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के काम में जो लोग बाधा डालेंगे, उन खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो डॉग लवर /गैर-सरकारी संगठन या याचिकाकर्ता SC मामले की सुनवाई में पक्षकार बनना चाहते हैं, उन्हें कार्यवाही में भाग लेने के लिए 25,000 से 2 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पशु प्रेमी, कुत्तों को गोद लेने के लिए एमसीडी के समक्ष आवेदन कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने खींची ये लक्ष्मण रेखा
- सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त के अपने निर्देश में संशोधन करते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी कर उसी इलाके में छोड़ा जाएगा.
- आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नगर निगम के अधिकारियों को भोजन के लिए समर्पित स्थान बनाने होंगे.
- कुत्तों को सड़कों पर खाना नहीं खिलाया जा सकेगा. अगर कोई ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
- सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि रेबीज और अग्रेसिव कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने आदेश का दायरा बढ़ा दिया है, अब पूरे देश के लिए आवारा कुत्तों के निर्देश लागू होगा.
- देश की सभी अदालतों में लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किया जाएगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो डॉग लवर /गैर-सरकारी संगठन या याचिकाकर्ता SC मामले की सुनवाई में पक्षकार बनना चाहते हैं, उन्हें कार्यवाही में भाग लेने के लिए 25,000 से 2 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा.
जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन वी अंजारिया की तीन जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 11 अगस्त का निर्देश फिलहाल स्थगित रखा जाएगा. उस आदेश में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थल से छोड़े जाने पर रोक लगाई गई थी.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित था, लेकिन अब इसे पूरे भारत में लागू करने का निर्णय लिया गया है. अदालत ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण यह समस्या बढ़ी है, इसलिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है. देशभर की अदालतों में लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने से एकरूपता सुनिश्चित होगी और नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा.
बता दें कि 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को लेकर फिक्र जाहिर करते हुए एमसीडी और न्यू दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल (एनडीएमसी) को तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी आवारा कुत्तों को पकड़ने और हटाने का निर्देश दिया था. अपने फैसले में कहा, 'बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है.'
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