दिल्ली शिक्षा बिल पर समर्थन में विधानसभा में आए पैरेंट्स, आतिशी ने कहा- 'ये बीजेपी के लोग...'

आम आदमी पार्टी बिल के खिलाफ 5 से 6 संशोधन लेकर आ रही है. आतिशी ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि सरकार विपक्ष की बातों को मानेगा और इन संशोधन को स्वीकार करेंगी.

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  • दिल्ली सरकार ने स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण बिल 2025 पेश किया है, जिससे फीस वृद्धि पर नियंत्रण लगेगा.
  • बिल के अनुसार प्राइवेट स्कूल तीन साल में केवल एक बार फीस बढ़ा सकते हैं, स्कूल स्तर समिति की मंजूरी से.
  • दिल्ली कैबिनेट ने मनमाने फीस वृद्धि पर दंड को सख्त करते हुए भारी जुर्माने का प्रावधान किया है.
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दिल्ली शिक्षा बिल को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी आमने सामने है. दिल्ली सरकार ने 4 अगस्त को स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण बिल 2025 को पेश किया. जिसके बाद से आज सदन के बाहर और अंदर दोनों जगह शिक्षा बिल पर बहस हुई. विधानसभा परिसर में कुछ पैरेंट्स आज शिक्षा बिल पर मुख्यमंत्री का धन्यवाद करने के लिए आए. इस दौरान उनके हाथों में पोस्टर था और नारे लगाकर सरकार का धन्यवाद किया गया. पैरेंट्स ने कहा, सरकार जो बिल लाई है उससे आने वाले दिनों में फीस पर रोक लगेगी.

विपक्ष की नेता आतिशी ने समर्थन में आए पैरेंट्स को बीजेपी का कार्यकर्ता बताया. उन्होंने कहा, ये बीजेपी के लोग हैं, जिनको विधानसभा परिसर के अंदर अनुमति दी गई और वह बिल का समर्थन कर रहे है. विधानसभा परिसर के बाहर चंदगीराम अखाड़ा पर कई पैरेंट्स को रोका गया जिनको अंदर नहीं आने दिया गया वह लोग इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है.

आम आदमी पार्टी बिल के खिलाफ 5 से 6 संशोधन लेकर आ रही है. आतिशी ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि सरकार विपक्ष की बातों को मानेगा और इन संशोधन को स्वीकार करेंगी.

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बिल में दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस नियंत्रण करने के लिए प्रावधान रखा है कि कोई भी स्कूल 3 सालों में एक ही बार फीस बढ़ा सकता है और ये फीस स्कूल लेवल कमेटी की मंजूरी के बाद ही बढ़ेगी, जिसमें 5 अभिभावक भी होंगे.

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दिल्ली कैबिनेट द्वारा 29 अप्रैल को पारित अध्यादेश के अनुसार, नया कानून मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के लिए दंड को सख्त बनाता है। पहली बार उल्लंघन करने पर जुर्माना 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच होगा। बार-बार उल्लंघन करने पर, जुर्माना 10 लाख रुपये तक हो सकता है। इसके अलावा, निर्धारित अवधि के भीतर अतिरिक्त फीस वापस न करने पर 20 दिनों के बाद जुर्माना दोगुना, 40 दिनों के बाद तीन गुना और प्रत्येक 20 दिन की देरी पर और बढ़ जाएगा। बार-बार उल्लंघन करने वालों को स्कूल प्रबंधन पदों से भी अयोग्य ठहराया जा सकता है और भविष्य में फीस वृद्धि का प्रस्ताव रखने का अधिकार भी खो दिया जा सकता है.

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