किशोर की कार से मारे गए व्यक्ति के परिवार को 1.98 करोड़ रुपये देने का आदेश

न्यायाधिकरण ने किशोर के पिता को भी फटकार लगाई और कहा कि अपने नाबालिग बेटे को गाड़ी चलाने से रोकने के बजाय उसने इसे अनदेखा करना चुना जो उसकी ओर से 'मौन सहमति' को दर्शाता है.

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प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्‍ली:

दिल्ली (Delhi) में एक मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (Motor Accidents Claim Tribunal) ने एक बीमा कंपनी को 32 वर्षीय एक मृत व्यक्ति के परिवार को 1.98 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करने का निर्देश दिया है. वर्ष 2016 में एक किशोर द्वारा चलाई जा रही एक तेज रफ्तार मर्सिडीज की टक्कर से इस व्यक्ति की मौत हो गई थी. न्यायाधिकरण ने किशोर के पिता को भी फटकार लगाते हुए कहा कि अपने नाबालिग बेटे को गाड़ी चलाने से रोकने के बजाय उसने इसे अनदेखा करना चुना जो उसकी ओर से 'मौन सहमति' को दर्शाता है.

पीठासीन अधिकारी पंकज शर्मा पीड़ित सिद्धार्थ शर्मा (32) के माता-पिता द्वारा दायर मुआवजे के दावे की सुनवाई कर रहे थे. 

किशोर की लापरवाही से हुई दुर्घटना : न्‍यायाधिकरण 

चार अप्रैल 2016 को सिविल लाइंस इलाके में सड़क पार करते समय सिद्धार्थ को मर्सिडीज ने टक्कर मार दी थी. न्यायाधिकरण ने कहा कि दुर्घटना किशोर चालक की 'लापरवाही और जल्दबाजी' के कारण हुई थी.

1.98 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश 

न्यायाधिकरण ने कार की बीमा कंपनी एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को पीड़ित परिवार को 1.21 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया, साथ ही 77.61 लाख रुपये ब्याज भी देने को कहा. कुल मुआवजा 1,98,89,820 रुपये है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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