"हम जल्दी में हैं, बहस के लिए चाहिए 3-4 घंटे", SC में ऐसा क्यों बोले मनीष सिसोदिया के वकील?

सीबीआई ने मुख्य दलील ये रखी कि आकबारी घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया मुख्य साजिशकर्ता हैं. उन्होंने दक्षिण भारत के कई आरोपियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और उसे अंजाम तक पहुंचाया.

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दिल्ली आकबारी घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया को राहत नहीं

दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है.सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है. कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 4 अक्टूबर तय की है. सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में कहा कि उनको नियमित जमानत पर बहस के लिए 3- 4 घंटे चाहिए, इसलिए अदालत एक दिन सुनवाई के लिए तय कर दे. उन्होंने कहा कि हमें इस मामले में जल्दी है और चार अक्टूबर को सुनवाई कर लें. 

सिसोदिया के वकील की मांग पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस SVN भट्टी की बेंच ने सुनवाई के लिए चार अक्तूबर की तारीख तय की है. बता दें कि मनीष सिसोदिया ने सीबीआई और ईडी दोनों मामले में जमानत की मांग की है. दिल्ली आबकारी घोटाले से जुड़े दो मामलों में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका दाखिल की गई है. जमानत याचिका में उन्होंने अपनी पत्नी की खराब सेहत को आधार बनाया है.  लेकिन अदालत ने अंतरिम जमानत देने से फिलहाल इनकार कर दिया है. 

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सिसोदिया पर करोड़ों के लेनदेन का आरोप

दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में फंसे दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी का सीबीआई ने विरोध किया. सीबीआई ने इस आशय का जवाबी हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया. हलफनामे में सीबीआई ने मुख्य दलील ये रखी है कि वह इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता हैं. उन्होंने दक्षिण भारत के कई आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रची और उसे अंजाम तक पहुंचाया. इस दौरान करोड़ों रुपए का अवैध रूप से प्रत्यक्ष परोक्ष रूप में लेनदेन हुआ.

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बता दें कि पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सीबीआई और ईडी से जवाब मांगा था. 
 सीबीआई ने पत्नी सुनीता की बीमारी के आधार पर मांगी गई सिसोदिया की अंतरिम जमानत का पुरजोर विरोध किया.
सीबीआई ने तर्क दिया कि सिसोदिया अपनी पत्नी सुनीता की बीमारी के आधार पर अस्थायी अंतरिम चिकित्सा के रास्ते जमानत का दबाव बना रहे हैं.ये कोई नई समस्या नहीं है. उनका इलाज तो पिछले 23 साल से चल रहा है.

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'सबूत नष्ट किए, जांच में नहीं किया सहयोग'

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सिसोदिया ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शराब व्यापार पर एकाधिकार और गुटबाजी के जरिए आर्थिक फायदा उठाने के मकसद से दक्षिण भारत के आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रची
उसी मकसद से सिसोदिया ने पिछली दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति के बारे में जनता की फर्जी राय गढ़ी. सिसोदिया ऐसे मामलों में जमानत के लिए निर्धारित ट्रिपल टेस्ट की शर्त भी पूरी नहीं करते हैं. वह राजनीतिक रूप से रसूखदार हैं और
  कई अहम सबूत पहले ही नष्ट कर चुके हैं. पूछताछ के दौरान भी उन्होंने सहयोग नहीं किया.

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वहीं उत्पाद शुल्क नीति घोटाला मामले में फंसे सिसोदिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें उन्हें सीबीआई और ईडी द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 3 जुलाई को  ईडी मामले में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था.  30 मई को हाईकोर्ट ने  इसी घोटाले के संबंध में सीबीआई मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

'उत्पाद शुल्क नीति में किया बदलाव'

इस घोटाले में कथित तौर पर दिल्ली सरकार के अधिकारी रिश्वत के बदले कुछ व्यापारियों को शराब लाइसेंस देने में शामिल हैं. केंद्रीय एजेंसी का मामला यह है कि उत्पाद शुल्क नीति में बदलाव किया गया और कुछ व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाभ मार्जिन बदल दिया गया और इसके बदले में रिश्वत प्राप्त की गई. दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना द्वारा दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश करने के बाद ईडी और सीबीआई ने कथित घोटाले के संबंध में मामले दर्ज किए. 

 रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सिसोदिया ने वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया और एक ऐसी नीति अधिसूचित की जिसके महत्वपूर्ण वित्तीय निहितार्थ थे. हालांकि शुरुआत में सीबीआई की चार्जशीट में सिसोदिया का नाम नहीं था, लेकिन बाद में सीबीआई ने उन्हें मामले में आरोपी के रूप में शामिल करते हुए एक अतिरिक्त आरोपपत्र दायर किया था. वहीं मनीष सिसोदिया का रुख है कि नीति और उसमें किए गए बदलावों को एलजी ने मंजूरी दी थी और अब सीबीआई एक चुनी हुई सरकार के नीतिगत फैसलों के पीछे जा रही है.

17 नवंबर 2021 को लागू हुई नई आकबारी नीति 

मनीष सिसोदिया के मुताबिक उनके पास कोई पैसा नहीं मिला है और एजेंसियां ​​शराब नीति का पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं, जो निर्वाचित सरकार द्वारा बनाई गई थी.इसे दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) द्वारा अनुमोदित किया गया था.  हालांकि, सीबीआई के हलफनामे ने सिसोदिया की दलीलों को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि मामले की जांच से पता चला है कि इस मामले में कथित गलत कमाई का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 44.54 करोड़, का इस्तेमाल AAP द्वारा नकद भुगतान करने के लिए किया गया था.

हाल ही में संपन्न गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान विभिन्न विक्रेताओं और स्वयंसेवकों को हवाला चैनल से पैसा भेजा गया. केंद्रीय एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक अपराध अलग श्रेणी के होते हैं और देश के हितों के लिए हानिकारक होते हैं. बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के आखिर इसे वापस ले लिया गया. दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहते हुए सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था.  सीबीआई ने उन्हें घोटाले में उनकी भूमिका के लिए पहली बार 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं.

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