दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने फेज-4 के तुगलकाबाद-एयरपोर्ट (एरोसिटी) कॉरिडोर पर मां-आनंदमयी मार्ग और तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी स्टेशन के बीच भूमिगत सुरंग का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. इस रूट को गोल्डन लाइन रूप में भी जाना जाता है. दिल्ली मेट्रो की सुरंग निर्माण में प्रयोग की जा रही टनल बोरिंग मशीन (TBM) का ब्रेकथ्रू आज तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी स्टेशन पर हुआ. इस अवसर पर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, परिवहन तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह, डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ. विकास कुमार तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.
यह TBM लगभग 0.792 किलोमीटर लंबी सुरंग को बोर करने के बाद तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी स्टेशन पर आज सुबह ब्रेकथ्रू में सफल रही. इसके लिए 96 मीटर लंबी विशाल TBM का उपयोग किया गया. इस खंड पर ऊपर और नीचे दोनों दिशाओं में आवाजाही के लिए समानांतर वृत्ताकार सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है. दूसरी सुरंग पर ब्रेकथ्रू जुलाई 2025 में अपेक्षित है.
इस नई सुरंग का निर्माण औसतन लगभग 18 मीटर की गहराई पर किया गया है. इसमें कुल 566 रिंग्स लगाए गए हैं और सुरंग का भीतरी व्यास 5.8 मीटर है. सुरंग का निर्माण ईपीबीएम (अर्थ प्रेशर बैलेंसिंग मेथड) तकनीक से किया गया है, जिसमें प्रीकास्ट कंक्रीट रिंग्स का उपयोग हुआ है. ये रिंग्स मुंडका में स्थापित पूरी तरह से यंत्रीकृत कास्टिंग यार्ड में तैयार किए गए थे, जिन्हें शीघ्रता से मज़बूती देने के लिए स्टीम क्योरिंग सिस्टम से इलाजित किया गया.
अब तक स्वीकृत फेज-4 परियोजना के अंतर्गत कुल 40.109 किलोमीटर अंडर ग्राउंड लाइन का निर्माण किया जा रहा है. इनमें से 19.343 किलोमीटर अंडर ग्राउंड का हिस्सा तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर में है.
क्या होता है टीबीएम
टीबीएम एक ऐसी मशीन है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की मिट्टी और चट्टानों में वृत्ताकार सुरंग खोदने के लिए किया जाता है. यह मशीन कठोर चट्टानों से लेकर मुलायम रेत तक में सुरंग बनाने में सक्षम होती हैं. TBM तकनीक ने पूरी दुनिया में सुरंग निर्माण के क्षेत्र में क्रांति ला दी है, क्योंकि इनके माध्यम से सतह की संरचनाओं को बिना क्षति पहुँचाए सुरंग बनाई जा सकती है.
शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़ के बीच भूमिगत निर्माण कार्यों में TBM विशेष रूप से उपयोगी साबित होती हैं. दिल्ली मेट्रो द्वारा टनलिंग के कार्यों के लिए फेज-1 से ही TBM का उपयोग किया जा रहा है. फेज-3 के दौरान, जब लगभग 50 किलोमीटर भूमिगत खंडों का निर्माण हुआ था, तब राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 30 TBM का उपयोग किया गया था.