- दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी की और उपचुनावों में 12 में से 7 सीटें जीतीं
- आम आदमी पार्टी ने 12 उपचुनावों में 3 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक को एक-एक सीट मिलीं
- बीजेपी को उपचुनावों में 2 सीटों का नुकसान हुआ, जिनमें प्रमुख सीटें शालीमार बाग और द्वारका बी शामिल हैं
देश की राजधानी दिल्ली में करीब 27 साल बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है. इस वापसी में कई पार्षद , विधायक बन गए. अब इन सीटों के लिए हुए उपचुनावों के परिणाम आ गए है. 12 सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 7 तो आप ने 3 सीट पर जीत दर्ज की है. वहीं विधानसभा चुनाव में जीरो सीट वाली कांग्रेस पार्टी ने भी अपना खाता इस चुनाव में खोला है और उसको एक सीट पर जीत हासिल हुई और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी की एक सीट पर जीत हुई. इन 12 सीटों में से अभी तक 9 बीजेपी के पास थी और AAP के पास 3 सीट थीं. इस तरह से बीजेपी को 2 सीट का नुकसान हुआ है.
यह चुनाव छोटा था, लेकिन एक तरह से मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और सौरभ भारद्वाज के लिए महत्वपूर्ण चुनाव था. मुख्यमंत्री के लिए इसलिए भी क्योंकि अभी तक जिस सीट से वह पार्षद थीं शालीमार बाग सीट उसपर बीजेपी प्रत्याशी की जीत हो और एमसीडी के चुनाव में अच्छे परिणाम से सरकार को लेकर अच्छा संदेश जाएगा. यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि विधानसभा चुनावों में जीत के बाद बीजेपी ने एमसीडी में भी अपनी सरकार बना ली है. जबकि 2022 के एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी सभी बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी और उसका ही मेयर इस साल अप्रैल महीने तक था.
शालीमार बाग सीट बीजेपी ने सबसे ज़्यादा वोटों के जीत के साथ दर्ज की है. यहां बीजेपी की अनिता जैन ने आम आदमी पार्टी के बबीता राणा को 10101 वोट से हराया. सभी 12 सीटों में से इस सीट पर सबसे ज़्यादा हार-जीत का अंदर है. इस प्रदर्शन से कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री ने संदेश दे दिया है अपनी मजबूती का, लेकिन 2 सीटों के नुकसान ने इस जीत को बेरंग सा कर दिया है. पार्टी ने इन उपचुनावों को लेकर कई मीटिंग भी की थी, जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष से लेकर मुख्यमंत्री और प्रदेश के सभी पदाधिकारी मौजूद थे.
इन उपचुनावों में एक महत्वपूर्ण सीट द्वारका बी सीट भी थी, जहां पहले बीजेपी की सांसद कमलजीत सहरावत पार्षद थी. यह सीट भी बीजेपी ने 9000 के अंदर से जीती है. सीएम की तरह ही सौरभ भारद्वाज के लिए भी यह महत्वपूर्ण चुनाव था, क्योंकि उनके नेतृत्व में पार्टी पहला चुनाव लड़ रही थी. भारद्वाज के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला चुनाव था, इस चुनाव में पार्टी ने 3 सीट पर जीत दर्ज की है. कहने के लिए पार्टी ने सीट पर जीत तो दर्ज की, लेकिन इन चुनावों में पार्टी वह मैसेज नहीं दे पाई, जो वह हर दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रेखा सरकार पर आरोप लगाती थी. हवा, पानी, बिजली, शिक्षा समेत सभी मुद्दों को लेकर आम आदमी पार्टी और खासतौर पर सौरभ भारद्वाज ने सरकार पर लगातार निशाना साधा और यह चुनाव एक तरह से सरकार की नीतियों के खिलाफ लिटमस टेस्ट था, जिसने विपक्ष सफल होता हुआ नहीं दिख रहा.
आम आदमी पार्टी ने अपनी जीती हुई सीट चांदनी महल सीट पर हार का सामना करना पड़ा. वहां पर पार्टी से इस्तीफा देकर पूर्व विधायक शोएब इकबाल ने अपने प्रत्याशी को AIFB पार्टी से उम्मीदवार बनाया और उसने आम आदमी पार्टी को हारा दिया. जबकि यहां से आप का विधायक है. इसी तरह चांदनी चौक सीट भी पार्टी हार गई, जबकि इससे पहले यह सीट आप के पास थी. सबसे महत्वपूर्ण सीट ग्रेटर कैलाश भी पार्टी हार हुई.
यह वही सीट है जहां से अभी तक सौरभ भारद्वाज खुद विधायक थे. इस सीट पर भारद्वाज ने कड़ी मेहनत की थी, लेकिन 4 हजार से ज्यादा वोट से यह सीट बीजेपी जीत हुई. चुनाव परिणामों के बाद भारद्वाज ने कहा, चुनाव छोटा था, आम आदमी पार्टी 3 पर थी, 3 पर रही भाजपा बेईमानी करने के बाद भी 9 से 7 पर आई.
उन्होंने कहा, दिल्ली में भाजपा सरकार के पहले लिटमस टेस्ट में दो बातें सामने आई हैं, पहला भाजपा नीचे आ रही है और दूसरा, भाजपा के बड़े बड़े नेताओं और सांसदों ने मंच से कहा कि - “आप के पार्षद को चुनोगे तो हम काम नहीं करने देंगे” , फिर भी भाजपा का नंबर घट गया. वही दिल्ली बीजेपी ने सोशल मीडिया पर अपने जीते हुए प्रत्याशियों को बधाई दी है लेकिन कोई बयान पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर नहीं है.














