डायरेक्टरेट ऑफ़ एनफोर्समेंट ने दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े एक बड़े टेंडर घोटाले में कुल 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाख़िल कर दी है. इस मामले में जिन बड़े नामों पर आरोप लगाए गए हैं, उनमें दिल्ली के पूर्व मंत्री सतेंद्र कुमार जैन, पूर्व CEO उदित प्रकाश राय, पूर्व मेंबर अजय गुप्ता, पूर्व चीफ़ इंजीनियर सतीश चंद्र वशिष्ठ, और कई निजी लोग व कंपनियां शामिल हैं.
यह मामला दिल्ली जल बोर्ड (DJB) में हुए उन टेंडरों से जुड़ा है, जिनका काम शहर के बड़े सीवेज प्लांटों की मरम्मत और अपग्रेडेशन करना था. Anti-Corruption Branch (ACB) ने पहले FIR दर्ज कराई थी कि इन टेंडरों में गड़बड़ी की गई है. FIR में बताया गया कि अलग-अलग इलाकों जैसे पप्पनकला, निलोथि, नजफगढ़, केशोपुर, नरेला, रोहिणी और कोंडली में बने STP प्रोजेक्ट्स के लिए जारी टेंडरों को जानबूझकर एक कंपनी के लिए फायदेमंद बनाया गया.
ED की जांच में सामने आया कि Euroteck Environmental Pvt Ltd (EEPL) नाम की कंपनी के डायरेक्टर राजकुमार कुर्रा ने DJB के कुछ अधिकारियों और निजी लोगों से मिलकर टेंडर की शर्तों में बदलाव कराए. टेंडर की शर्तें इस तरह बनाई गईं कि केवल एक खास तरह की तकनीक IFAS टेक्नॉलॉजी (फिक्स्ड मीडिया) को ही स्वीकार किया जाए. यह तकनीक सिर्फ EEPL कंपनी देती थी. इससे यह हुआ कि टेंडर में कोई दूसरी कंपनी हिस्सा ही नहीं ले सकी और EEPL को सीधा फायदा मिला.
जांच के अनुसार, EEPL के डायरेक्टर राजकुमार कुर्रा ने अधिकारियों और बिचौलियों को 6.73 करोड़ रुपये की रिश्वत दी. यह पैसा दो तरीकों से दिया गया.
1. बैंक के जरिए, फर्जी बिल और एडवांस पेमेंट दिखाकर
2. कैश में, हवाला नेटवर्क के जरिए
इस घोटाले की वजह से कंपनी को लगभग 9.96 करोड़ रुपये का अवैध फायदा हुआ. ईडी ने इस पैसे को प्रोसीड्स ऑफ क्राइम यानी अपराध की कमाई बताया.
कुल घोटाला 17.70 करोड़ का
ED ने अपनी जांच में निष्कर्ष निकाला कि अधिकारियों और निजी आरोपियों ने मिलकर लगभग 17.70 करोड़ रुपये की अवैध कमाई को बनाया, छिपाया, संभाला और इस्तेमाल किया. इसीलिए उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बनाया गया है. जिन प्रमुख लोगों को आरोपी बताया गया है, वे हैं
- सतेंद्र कुमार जैन
- उदित प्रकाश राय
- अजय गुप्ता
- सतीश चंद्र वशिष्ठ
- Euroteck Environmental Pvt Ltd
- राजकुमार कुर्रा
- विनोद चौहान
- नागेंद्र यादव
- और अन्य सह आरोपी
15.36 करोड़ की संपत्तियां कुर्क
ED ने 4 दिसंबर 2025 को एक आदेश जारी कर 15.36 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया. ये संपत्तियाँ कई आरोपियों से जुड़ी बताई गई हैं. यह पूरा मामला दिल्ली जल बोर्ड के बड़े टेंडर घोटाले से जुड़ा है, जिसमें कथित तौर पर टेंडरों को पहले से तय करके एक ही कंपनी को फायदा पहुंचाया गया. इसके बदले में करोड़ों की रिश्वत दी गई. अब ईडी ने अदालत में चार्जशीट दाख़िल कर दी है और आगे की कार्रवाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार होगी.














