दिल्ली में फ्लाईओवर की ‘खराब’ स्थिति की जांच CBI से होनी चाहिए: दिल्ली HC

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि (फ्लाईओवर के) ‘‘कमजोर ढांचे’’ के बावजूद मामले में न तो कोई आंतरिक जांच हुई और न ही कोई इसे लेकर चिंतित है कि फ्लाईओवर पर रिपोर्ट का 2021 से इंतजार किया जा रहा है, जिससे यह ‘‘स्पष्ट’’ हो जाता है कि कोई ‘‘भ्रष्टाचार को दबाने की कोशिश कर रहा.’’

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने नत्थू कॉलोनी चौक के निकट एक दशक से भी कम समय पहले बने फ्लाईओवर की ‘‘खराब'' स्थिति के लिए मंगलवार को अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराई जानी चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि (फ्लाईओवर के) ‘‘कमजोर ढांचे'' के बावजूद मामले में न तो कोई आंतरिक जांच हुई और न ही कोई इसे लेकर चिंतित है कि फ्लाईओवर पर रिपोर्ट का 2021 से इंतजार किया जा रहा है, जिससे यह ‘‘स्पष्ट'' हो जाता है कि कोई ‘‘भ्रष्टाचार को दबाने की कोशिश कर रहा.''

पीठ ने कहा, ‘‘आपने 2021 में सलाहकार को काम पर रखा. अभी नवंबर 2024 है. यह रिपोर्ट उनसे क्यों नहीं आई है? क्या आपने मामला सीबीआई या किसी और को सौंप दिया है? इस तरह का निर्माण हुआ है. 2015 के इस घोटाले में कौन लोग शामिल हैं? कृपया हमें बताएं. इस मामले की जांच की जरूरत है.''

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सीबीआई इस ‘‘गड़बड़ी'' के पीछे के लोगों का पता लगाएगी, साथ ही कहा कि मुद्दा यह है कि अधिकारी ‘‘कुछ आंतरिक मंथन नहीं कर रहे हैं.''

अदालत भाजपा विधायक जितेंद्र महाजन की उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें दिल्ली सरकार और उसके लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) तथा पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (टीटीडीसी) को नत्थू कॉलोनी चौक के पास फ्लाईओवर की मरम्मत करने और उसे फिर से खोलने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा, ‘‘आपका फ्लाईओवर इतना कमजोर कैसे हो सकता है? इसे बने 10 साल भी नहीं हुआ है. क्या इस तरह का फ्लाईओवर, जिस पर आपने करोड़ों रुपये खर्च किए होंगे, ढह सकता है? 1980 के दशक में बने सभी फ्लाईओवर आज भी ठीक हैं. और 2015 में किया गया आपका निर्माण खस्ताहाल है. यह समझने के लिए किसी जादूगर की जरूरत नहीं है कि ये फ्लाईओवर क्यों ढह रहे हैं. आपको इस मामले में जांच का आदेश देना होगा.''

Advertisement

पीठ ने इसके गिरने की स्थिति में लोगों की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की और फ्लाईओवर में खामियां सामने आने के बाद अधिकारियों से कदम उठाने को कहा. अदालत ने कहा,‘‘आपका समाधान यह है कि भारी वाहनों के आवागमन की अनुमति न दें. यह फ्लाईओवर किस लिए है, साइकिल के लिए? आप क्या कर रहे हैं? आपने इसे साइकिल और दोपहिया वाहनों या हल्के वाहनों तक ही सीमित कर दिया है.''

पीठ ने आगे कहा, ‘‘आप इस तरह का घटिया निर्माण नहीं कर सकते. अब तक कोई आंतरिक जांच नहीं हुई. आपने सबूतों को नष्ट होने दिया.'' अदालत ने 25 नवंबर को फ्लाईओवर की मरम्मत के संबंध में पीडब्ल्यूडी और टीटीडीसी के बीच निधि संबंधी ‘‘विवाद'' पर नाराजगी व्यक्त की थी.

Advertisement

पीडब्ल्यूडी के वकील ने दावा किया कि चूंकि शुरुआती निर्माण टीटीडीसी ने 2015 में किया था, इसलिए उसे जल्द से जल्द फ्लाईओवर की मरम्मत करनी थी. वहीं, टीटीडीसी ने कहा कि वह निधि के लिए पीडब्ल्यूडी पर निर्भर है और शुरुआती ठेकेदार को 8 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, जिसका भुगतान पीडब्ल्यूडी ने नहीं किया.

मंगलवार को सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि विवाद ‘‘सुलझ गया है''. अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 3 दिसंबर तय की है.

Advertisement

वकील नीरज, सत्य रंजन और के के मिश्रा के माध्यम से दायर जनहित याचिका में महाजन ने कहा कि टीटीडीसी ने नत्थू कॉलोनी चौक के पास एक ‘‘रोड ओवर ब्रिज'' और एक ‘‘रोड अंडर ब्रिज'' के लिए निविदा जारी की थी और परियोजना को 2016 में सौंपा गया था.

याचिका में कहा गया कि निर्माण में खामियां पाई गईं और आज तक पीडब्ल्यूडी और निगम ने उन्हें ठीक नहीं किया है. याचिकाकर्ता ने पिछले दो वर्षों से भारी वाहनों के लिए फ्लाईओवर बंद किए जाने का जिक्र किया और कहा कि इससे लोगों को असुविधा हो रही है.
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Manmohan Singh Death News: मनमोहन सिंह के जीवन की अनसुनी कहानियां
Topics mentioned in this article