मुस्तफाबाद के विधायक इस सीट का बदलना चाहते हैं नाम
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत कई मायनों में ऐतिहासिक है. ये वही सीट है जहां पर 2020 में सांप्रदायिक दंगे भी हुए थे. बीजेपी की ये जीत इसलिए भी खास है क्योंकि इस सीट पर एक समय तक पेंच फंसता हुआ दिख रहा था. इसकी एक वजह AIMIM भी थी. इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दंगों में आरोपी बनाए गए ताहिर हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया था. अब यह सीट बीजेपी के खाते में जा चुकी है. यह सीट अब चर्चाओं में है. चर्चाओं में रहने की एक वजह है बीजेपी विधायक की वो जिद जिसके तहत वो चाहते हैं कि इस सीट का नाम बदला जाए. बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने अब इस सीट का नाम बदलने की ठान ली है. अब इस सीट का नाम बदलने की कोशिश क्यों कर रहे हैं इसे लेकर एनडीटीवी ने उनसे खास बातचीत की.
इस बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मैं वहां 1998 से लेकर 2008 तक विधायक रहा. मैं उस सीट को अच्छे से जानता हूं. मैंने वहां बगैर जाति और धर्म देखे ही विकास का काम किया है. बात रही मुस्तफाबाद के नाम बदलने की तो हम इस सीट का नाम जरूर बदलेंगे. नाम बदलने की बात करने की एक ठोस वजह भी है. एक तरफ 58 फीसदी लोग हैं दूसरी तरफ 42 फीसदी लोग हैं. ऐसे में आप ही बताएं किसकी बात हमें पहले सुननी चाहिए. हमे लगता है कि हमे पहले 58 फीसदी लोगों का सम्मान करना चाहिए.
MLA बिष्ट ने आगे कहा कि और नाम बदलने से किसी को क्या दिक्कत है. 2008 के बाद जब मैं दूसरी सीट पर चला गया तब उसका नाम बदलकर मुस्तफाबाद किया गया. नाम बदलेंगे हम. मुस्तफाबाद के नाम से ना वहां गाड़ियां जाती हैं ना कोई टैक्सी जाती है. वहां जो भीड़ भाड़ है उसे भी ठीक करेंगे. भीड़भाड़ भी ठीक करेंगे बुल्डोजर भी चलाएंगे. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात होने पर उन्होंने कहा कि मेरी उनसे मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है. मेरे जैसा साधारण सा कार्यकर्ता कहां मुख्यमंत्री बन सकता है. हमे जो जिम्मेदारी मिलेगी वो काम मैं करूंगा. अमित शाह से सीएम पद को लेकर मेरी कोई बातचीत नहीं हई है.