क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा नहीं देने का भारत का रुख कई क्रिप्टो फंड्स के नेगेटिव एक्सपीरिएंस से सही साबित हो रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत ने प्रतिकूल इकोनॉमिक स्थितियों का सही अनुमान लगाया था और इससे शायद बहुत से लोगों को नुकसान उठाने से बचाया गया है.
पिछले सप्ताह सिंगापुर के क्रिप्टो हेज फंड Three Arrows Capital के वित्तीय मुश्किलों का सामना करने की रिपोर्ट आई थी. इस फंड की वैल्यू पिछले वर्ष नवंबर में पीक से लगभग काफी घट गई है. यह क्रिप्टो मार्केट में स्थितियां खराब होने का एक बड़ा संकेत है. Reuters की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि लगभग 15,250 बिटकॉइन्स और लगभग 35 करोड़ डॉलर के स्टेबलकॉइन USDC के एक लोन की पेमेंट करने में नाकाम होने के कारण इसे लिक्विडेट किया जा रहा है. ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स के एक कोर्ट ने पिछले महीने के अंत में इसके लिक्विडेशन का ऑर्डर दिया था.
ब्लॉकचेन एनालिटिक्स फर्म Nansen ने बताया है कि Three Arrows Capital की ब्लॉकचेन होल्डिंग्स कभी लगभग 10 अरब डॉलर तक रही थी. सिंगापुर के सेंट्रल बैंक और मॉनेटरी अथॉरिटी ऑफ सिंगापुर (MAS) ने रेगुलेशंस का उल्लंघन करने के कारण पिछले सप्ताह इस फंड को फटकार लगाई थी. इस हेज फंड ने पिछले वर्ष ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में शिफ्ट होने को लेकर गलत इनफॉर्मेशन दी थी. हालांकि, इस पर लगाई गई किसी पेनल्टी के बारे में पता नहीं चला है. इस बारे में भेजे गए प्रश्नों का फर्म की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला है. MAS ने बताया कि फर्म ने डायरेक्टर्स और उनकी शेयरहोल्डिंग में बदलावों को लेकर सूचना देने में देरी की है. इसके अलावा पिछले दो वर्षों में इसने एसेट्स अंडर मैनेजमेंट की अपनी लिमिट को भी पार किया था.
लोन की पेमेंट में नाकाम रहने के कारण क्रिप्टो ब्रोकरेज फर्म Voyager Digital ने Three Arrows Capital को डिफॉल्ट नोटिस दिया था. कंसल्टेंसी फर्म Teneo को लिक्विडेटर नियुक्त किया गया है. मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की वैल्यू जून में लगभग 37 प्रतिशत घटी है. पिछले वर्ष नवंबर में इसने लगभग 69,000 डॉलर के साथ अभी तक का हाई लेवल छुआ था. हाल ही में फर्म के को-फाउंडर ने लिक्विडेशन की अटकलों को लेकर एक ट्वीट में कहा था कि फर्म इसका समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है. क्रिप्टो मार्केट में मंदी के कारण इस सेगमेंट की बहुत सी फर्में कॉस्ट घटाने के लिए अपनी वर्कफोर्स में कटौती कर रही हैं.
क्रिप्टो मार्केट के गिरने से सही साबित हो रहा क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत का रुख
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत ने प्रतिकूल इकोनॉमिक स्थितियों का सही अनुमान लगाया था और इससे शायद बहुत से लोगों को नुकसान उठाने से बचाया गया है
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इस सेगमेंट की बहुत सी फर्में कॉस्ट घटाने के लिए अपनी वर्कफोर्स में कटौती कर रही हैं
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सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की वैल्यू जून में बहुत घटी है
पिछले वर्ष नवंबर में इसने लगभग 69,000 डॉलर के साथ हाई लेवल छुआ था
इससे इनवेस्टर्स को काफी लॉस हुआ है
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