क्रिप्टोकरेंसी के नियमन (Cryptocurrency Regulation) को लेकर भारत में लगातार चर्चाएं चल रही हैं. जहां हर रोज देश में क्रिप्टोकरेंसी से नए निवेशक और ट्रेडर्स जुड़ रहे हैं, सरकार की चिंताएं इसपर बढ़ती जा रही हैं. पिछले दिनों ऐसी खबरें आई हैं कि सरकार एक क्रिप्टोकरेंसी बिल लाने की तैयारी कर रही है, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी को एक कमोडिटी (Cryptocurrency as a commodity) की तरह देखा जाएगा. केंद्रीय रिजर्व बैंक इस वर्चुअल करेंसी को लेकर काफी पहले से आगाह कर रहा है. यहां तक कि केंद्रीय बैंक 2018 में इनकी ट्रेडिंग पर प्रतिबंध भी लगाया था, लेकिन उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अब जब क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट बहुत ही ज्यादा सक्रिय हो चुका है, तो सरकार इसपर कुछ ठोस कदम उठाने की तैयारी में है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्रीय बैंक बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर ‘गंभीर' रूप से चिंतित है और उसने सरकार को इस चिंता से अवगत करा दिया है. दास ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अब इस मामले में निर्णय सरकार को लेना है. उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी के अर्थव्यवस्था में योगदान के विषय में ‘विश्वसनीय स्पष्टीकरण और जवाब' की जरूरत है.
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बिटकॉइन जैसी निजी क्रिप्टो करेंसी नियमन के दायरे में नहीं है. इसकी कीमत में भारी उतार-चढ़ाव रहता है. इस तरह की आवाजें उठ रही हैं कि इन्हें विदेशी संपत्ति जैसा माना जाए. सरकार को इस बात पर फैसला करना है कि इन्हें पूरी तरह अनुमति दी जाए या नहीं. अल सल्वाडोर इस सप्ताह बिटकॉइन को मान्यता देने वाला पहला देश है. एक दिन में करेंसी के मूल्य में 20 प्रतिशत ‘करेक्शन' के बाद वहां काफी तनाव हो गया है.
दास ने कहा, ‘हमने क्रिप्टो करेंसी को लेकर अपनी गंभीर और बड़ी चिंता से सरकार को अवगत करा दिया है. सरकार को इस पर फैसला करना है.' इससे पहले मार्च में दास ने कहा था कि उनके पास यह विश्वास करने की वजह है कि सरकार केंद्रीय बैंक द्वारा जताई गई चिंता से सहमत है.
रिजर्व बैंक ने शुरुआत में बैंकों को इस तरह की संपत्ति में निवेशकों द्वारा कारोबार की अनुमति को प्रतिबंधित कर दिया था. लेकिन उच्चतम न्यायालय ने रिजर्व बैंक के आदेश को रद्द कर दिया जिसके बाद इसकी अनुमति मिल गई. खबरों में कहा गया है कि कुछ बैंकों ने इस तरह का कामकाज फिर शुरू कर दिया है.