Cryptocurrency Exchange पर क्रिप्टो में ट्रेडिंग करने के लिए कितनी फीस देनी होती है? जानिए

Cryptocurrency Exchange : क्रिप्टोकरेंसी में दो तरीके से निवेश होता है- पहला माइनिंग से, दूसरा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करके. एक्सचेंज पर ट्रेडिंग ज्यादातर निवेशकों की पसंद हैं. हां, एक्सचेंज पर क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग के लिए कुछ फीस देनी पड़ती है. हम आपको बता रहे हैं कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कैसी-कैसी और कितनी फीस लगाते हैं.

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Cryptocurrency Trading के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज निवेशकों से फीस लेते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट (Cryptocurrency Market) पिछले कुछ सालों में जबरदस्त तेजी से बढ़ा है. अगर भारत की ही बात करें तो 2021 क्रिप्टो बूम लेकर आया है. Bitcoin और Ethereum जैसी पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी के साथ-साथ निवेशक Tether, Cardano, Ripple, Polka Dot जैसे कई क्रिप्टो कॉइन में पैसे लगा रहे हैं. क्रिप्टोकरेंसी में दो तरीके से निवेश होता है. पहला माइनिंग से, दूसरा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर इसमें ट्रेडिंग करके. चूंकि माइनिंग काफी जटिल प्रक्रिया और इससे काफी स्किल और इक्विपमेंट की जरूरत पड़ती है, ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर ट्रेडिंग ज्यादातर निवेशकों की पसंद हैं. भारत में भी बहुत से क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज एक्टिव हैं और लाखों निवेशकों को निवेश का प्लेटफॉर्म दे रहे हैं.

हां, एक्सचेंज पर क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग के लिए कुछ फीस देनी पड़ती है. हम यहां आपको बता रहे हैं कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज यूजर्स पर ट्रेडिंग के लिए कैसी-कैसी और कितनी फीस लगाते हैं- 

ट्रांजैक्शन फीस  

हर क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज यह फीस लगाता है. ट्रांजैक्शन फीस इनकी आय का प्रमुख स्रोत होता है, इससे वो कॉइन्स को खरीदने और बेचने की सुविधा देते हैं. अधिकतर एक्सचेंज फीस लेने के एक निश्चित मॉडल के तहत चलते हैं.  इसके तहत वो हर ट्रांजैक्शन के लिए पहले से एक निश्चित अमाउंट रखते हैं, जो निवेशकों को चुकानी होती है. किसी यूजर को एक्सचेंज को आखिर में कितना कमीशन चुकाना है, ये कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि ट्रांजैक्शन का वॉल्यूम क्या है, या फिर उस एक्सचेंज विशेष से क्या दूसरे फैक्टर्स उसकी फीस पर कोई असर डालते हैं या नहीं. ऐसे में जरूरी है कि निवेश करने से पहले एक बार निवेशक उस एक्सचेंज की फीस पर अच्छे से जानकारी ले लें.

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एक्सचेंज एक और मॉडल फॉलो करते हैं- मेकर टेकर मॉडल. यह एक तरीके से वैरिएबल फीस मॉडल है, जिसमें सेलर मेकर होता है और बायर टेकर. ट्रांजैक्शन फीस इस बात पर निर्भर करती है कि कितने अमाउंट की ट्रेडिंग हो रही है और उस यूजर की ट्रेडिंग फ्रीक्वेंसी क्या है. अगर आप एक्टिव ट्रेडर हैं, तो आप मेकर की हैसियत में आ सकते हैं और इसके चलते आपको कम ट्रांजैक्शन फीस भरनी होगी.

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वॉलेट फीस

एक्सचेंज ऐसा विकल्प देते हैं कि यूजर्स अपना खुद का डिजिटल वॉलेट बना लें. अधिकतर क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइन्स स्टोर करने के लिए यूजर्स से कोई फीस नहीं लेते हैं, लेकिन वॉलेट से कॉइन विदड्रॉ करने या डिपॉजिट करने के लिए उन्हें एक फीस देनी होती है.

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नेटवर्क फीस

नेटवर्क फीस माइनर्स को चुकाई जाती है. जब भी कोई ट्रांजैक्शन होता है तो उसे वेरिफाई करके ब्लॉकचेन पर ऐड किया जाता है, इसके बाद ट्रांजैक्शन की प्रक्रिया पूरी होती है. इस प्रोसेस में माइनर्स काफी अहम भूमिका निभाते हैं और अपने काम के लिए उन्हें पावरफुल कंप्यूटर्स की जरूरत होती है. वो यह सुनिश्चित करते हैं कि हर ट्रांजैक्शन में पारदर्शिता और वैधता बनी रहे. हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर कोई सीधा नियंत्रण नहीं होता है. डिमांड और सप्लाई के आधार पर ट्रांजैक्शन जितना हाई होगा, फीस उतनी बढ़ जाएगी.

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