डिजिटल स्पेस में NFTs (Non-Fungible Tokens) का नया क्रेज शुरू हुआ है. NFT नई जेनरेशन के लिए काफी दिलचस्प चीज है, क्योंकि इसमें क्रिप्टोकरेंसी, वर्चुअल रिएलिटी और सोशल मीडिया का क्रेज जुड़ा हुआ है. NFT के जरिए बड़े-बड़े अरबपतियों ने भी लाखों डॉलर के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में लगाए हैं. लेकिन NFT तो बस डिजिटल स्पेस में ही होते हैं. इनको आप इंटरनेट पर देख तो सकते हैं, लेकिन छू नहीं सकते, फिर ऐसी चीज के लिए इतने पैसे क्यों खर्च किए जा रहे हैं? ऐसा भी नहीं है कि कुछ डिजिटल असेट को देखने के लिए लोगों को पैसे चुकाने हैं, वो चीजें आसानी से इंटरनेट पर सर्च करके देखी जा सकती हैं, फिर भी उन्हें खरीद कौन और क्यों रहा है? आइए समझते हैं.
NFT क्या है?
NFT यानी नॉन-फंजिबल टोकन एक तरह की डिजिटल संपत्ति या डेटा होता है, जो ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड होता है. NFT एक तरीके के डिजिटल टोकन होते हैं, जिन्हें असली चीजों यानी कि किसी पेंटिंग, गेम, म्यूजिक एलबम, मीम, कार्ड्स वगैरह चीजों से असाइन किया जाता है. कोई क्रिएटिव शख्स अपने स्किल को NFT के जरिए मॉनेटाइज़ करके बेच सकता है. इन डिजिटल संपत्तियों को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए बेचा और खरीदा जाता है, क्योंकि इनका एन्क्रिप्शन भी वैसे ही सॉफ्टवेयर के साथ होता है.
ये भी पढ़ें : Blockchain टेक्नोलॉजी क्या है और क्यों है यह क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया का बैकबोन? समझिए
आपको जानकर शायद हैरानी हो कि NFT साल 2014 से अस्तित्व में हैं. हालांकि, पिछले कुछ वक्त में Ethereum और Tezos जैसे ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म ने ट्रांजैक्शन के लिए आ रहे डिजिटल असेट्स के खरेपन को लेकर कुछ पैमाने तय किए हैं, जिसके बाद NFT में निवेश बढ़ा है.
NFT यूनीक क्यों है?
कोई भी क्रिएशन अगर डिजिटल है, यानी इंटरनेट पर है, तो हो सकता है कि उसकी कुछ कॉपीज़ भी इंटरनेट पर हों. लेकिन NFT यूनीक होते हैं, क्योंकि उनका एक यूनीक आईडी कोड होता है. जैसे कि कहा जाता है कि दो अंगूठों के छाप एक जैसे नहीं होते हैं, वैसे ही दो NFT मैच नहीं कर सकते. हर NFT की आईडी यूनीक होती है, इससे फर्जी NFT के बिकने की शंका कम हो जाती है. जब कोई NFT खरीदता है, तो उसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से लैस सुरक्षित सर्टिफिकेट मिलता है.
बता दें कि किसी भी चीज को NFT में बदला जा सकता है और इसे बेच सकता है. चाहे वो कोई पेंटिंग हो, मीम हो या फिर कोई फनी सा वीडियो ही क्यों न हो.
ये भी पढ़ें : Bitcoin तो ठीक है, ये Bitcoin Cash क्या है? समझिए ये दोनों क्रिप्टोकरेंसी कैसे हैं एक-दूसरे से अलग
पिछले कुछ वक्त में इन बड़ी NFT सेल्स ने खींचा है ध्यान
हाल ही में, साल 2015 का एक मीम फिर से वायरल हो रहा था. यह NFT के रूप में 38 लाख रुपये में बिका. इस मीम में एक पाकिस्तानी शख्स ने अपने दोस्त के साथ दोस्ती खत्म होने को लेकर जोक बनाया था. इस मीम को बनाने वाले मुहम्मद आसिफ रज़ा राना और उनके दोस्त मुदस्सिर पर बने इस मीम से उन्हें खूब फायदा हुआ और वो सुर्खियों में भी रहे.
हाल ही में एक ग्रे रंग के पत्थर की एक पेंटिंग NFT के तौर पर लगभग 75 लाख में बिकी है. यह एक डिजिटल पेंटिंग हैं, जिसमें एक बड़ा सा ग्रे रंग का पत्थर है, बस. इस साल जुलाई में ‘Super Mario 64' वीडियो गेम का एक कार्टरिज एक नीलामी में 11.58 करोड़ रुपये में बिका.
यहां तक कि Twitter के CEO जैक डॉर्सी का पहला ट्वीट एक NFT के तौर पर मिला. यूएस की कंपनी Cent के जरिए Valuables नाम के एक प्लेटफॉर्म पर बिके इस ट्वीट के लिए उन्हें लगभग 20 करोड़ रुपये मिले. उन्होंने यह ट्वीट 21 मार्च, 2006 को किया था, जो इस साल 22 मार्च को NFT के तौर पर बिक गया.
यहां तक कि Beeple नाम से जाने जाने वाले एक डिजिटल आर्टिस्ट ने अपना एक jpeg फाइल लगभग 512 करोड़ में बेचा.
NFTs जरूरी क्यों हैं?
NFTs के समर्थकों के मुताबिक, ये इसलिए बहुत अहम हैं क्योंकि सबसे पहले तो ये किसी भी असेट के मालिकाना हक को एक ही व्यक्ति तक सीमित रखता है. दूसरे, ब्लॉकचेन टेक्नीक पर काम कर रहे इन डिजिटल असेट्स को बस एक ही शख्स होल्ड और एक्सेस कर सकता है. आर्टिस्ट्स के लिए यह बड़ी मदद साबित हो सकता है. वो अपने वर्क को NFT के जरिए मॉनेटाइज कर सकते हैं और अगर उनका क्रिएशन कहीं और बिकता है तो उन्हें इसपर रॉयल्टी भी मिलेगी.
ये भी पढ़ें : Cryptocurrency से पर्यावरण पर क्या पड़ते हैं प्रभाव? क्यों क्रिप्टो माइनिंग पर उठते हैं सवाल? जानें
क्या आप क्रिप्टोकरेंसी के जरिए NFT खरीद सकते हैं?
बहुत सारे मार्केटप्लेस हैं, जहां इथीरियम में पेमेंट होता है. हालांकि ये NFT बेच रहे शख्स पर निर्भर करता है कि वो किसी करेंसी में पेमेंट चाहता है.
अब आखिर में हम आपको यह भी बता दें कि NFTs को जेनरेट करने में बहुत ज्यादा बिजली खर्च होती है क्योंकि ये भी क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही ब्लॉकचेन पर काम करते हैं और इनके जेनरेशन में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जो क्लाइमेंट के लिए अच्छी नहीं होतीं.
एक और कमी जो है, वो ये कि जरूरी नहीं है कि आपको बहुत आराम से कोई अच्छी डील मिल जाए. हो सकता है कि कहीं किसी चीज को खरीदने के चक्कर में आप ज्यादा पैसे लगा दें. अगर एक सेलर यानी विक्रेता के नजरिए से सोचें तो जब NFT का हाइप फेड होगा, तो प्रॉफिट कमाने में दिक्कत आएगी, क्योंकि उस वक्त हर कोई प्रॉफिट ही कमाने की कोशिश कर रहा होगा.