- उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रतापगढ़ के मानिकपुर में अंतर्राज्यीय मादक पदार्थ तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ किया
- इस कार्रवाई में पुलिस ने ₹2.01 करोड़ नकद, 6.075 किलोग्राम गांजा और 577 ग्राम स्मैक बरामद की
- इस गिरोह का सरगना राजेश मिश्रा जेल में बंद रहते हुए भी तस्करी नेटवर्क चला रहा था
उत्तर प्रदेश पुलिस ने ड्रग माफिया के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है. इसी का नतीजा है कि प्रतापगढ़ के मानिकपुर में एक अंतर्राज्यीय मादक पदार्थ तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है. इस कार्रवाई में पुलिस ने ₹2.01 करोड़ नकद, 6.075 किलोग्राम गांजा और 577 ग्राम स्मैक (हेरोइन) बरामद की है. बरामद ड्रग्स की कुल कीमत ₹3 करोड़ से अधिक आंकी जा रही है. इस हाई-प्रोफाइल ऑपरेशन की कमान पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ दीपक भूकर ने संभाली, जो इससे पहले प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और अशरफ के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुर्खियों में रह चुके हैं. इस बार उन्होंने प्रतापगढ़ में ड्रग माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाया.
जेल से चल रहा था नशे का कारोबार
पुलिस की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि गिरोह का सरगना राजेश मिश्रा, जो पहले से ही जेल में बंद है. वो वहीं से पूरे तस्करी नेटवर्क का को चला रहा था. उसकी पत्नी रीना मिश्रा गिरोह की मुखिया के रूप में काम कर रही थी और परिवार के अन्य सदस्य भी इस अवैध धंधे में लगे थे. मानिकपुर थाना पुलिस ने राजेश मिश्रा के घर पर छापा मारा. जहां से रीना मिश्रा, उनके बेटे विनायक मिश्रा, बेटी कोमल मिश्रा, रिश्तेदार अजीत कुमार मिश्रा और यश मिश्रा को गिरफ्तार किया गया. छापेमारी के वक्त सभी आरोपी घर के अंदर मौजूद थे और पन्नियों में मादक पदार्थ छिपाने की कोशिश कर रहे थे.
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22 घंटे तक चली गिनती, कैश देख पुलिस भी रह गई हैरान
पुलिस को घर से ₹2,01,55,345 कैश, 6.075 किलोग्राम गांजा (कीमत ₹3.03 लाख) और 577 ग्राम स्मैक (कीमत ₹1.15 करोड़) बरामद हुई. इतनी बड़ी मात्रा में नकदी की गिनती में लगभग 22 घंटे का समय लगा. यह यूपी पुलिस के इतिहास में ड्रग केस में अब तक की सबसे बड़ी नकदी बरामदगी मानी जा रही है. इससे पहले भी राजेश मिश्रा और उसकी पत्नी रीना मिश्रा की ₹3.06 करोड़ की चल-अचल संपत्तियों की कुर्की की जा चुकी ह. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, रीना मिश्रा और उसका बेटा विनायक मिश्रा पहले भी एनडीपीएस एक्ट के तहत मामलों में आरोपी रह चुके हैं.
फर्जी दस्तावेजों से कराई थी जमानत
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि राजेश मिश्रा की जमानत फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कराई गई थी. इस मामले में मानिकपुर थाने में मुकदमा संख्या 239/25 दर्ज किया गया है, जिसमें बीएनएस की कई धाराएं जोड़ी गई हैं. पुलिस अधीक्षक ने ये भी कहा कि यह कार्रवाई संगठित अपराध और मादक पदार्थ तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान का हिस्सा है. साथ ही उन्होंने एकदम साफ कर दिया कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ इसी तरह से आगे भी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी. गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा.
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