- प्रवर्तन निदेशालय ने IRAL और सहयोगियों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत छापेमारी की
- IRAL ने करीब 1500 निवेशकों से 450 करोड़ रुपये जुटाए थे, लेकिन प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ
- निवेशकों को रिटेल शॉप्स व वर्चुअल स्पेस देने का वादा किया गया था, पर न तो प्रोजेक्ट पूरे हुए न पैसा वापस मिला
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इंटरनेशनल रिक्रिएशन एंड अम्यूज़मेंट लिमिटेड (IRAL) और इसके सहयोगियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत दिल्ली-एनसीआर में पांच ठिकानों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई गुरुग्राम पुलिस और दिल्ली ईओडब्ल्यू की एफआईआर के आधार पर शुरू की गई जांच का हिस्सा है. जांच एजेंसी के अनुसार, IRAL ने करीब 1500 निवेशकों से 450 करोड़ रुपये की राशि जुटाई थी.
निवेशकों के पैसे फंसे, प्रोजेक्ट भी अटके
कंपनी ने निवेशकों को गुरुग्राम के सेक्टर-29 और सेक्टर-52A में रिटेल शॉप्स और वर्चुअल स्पेस देने का वादा किया था. लेकिन न तो प्रोजेक्ट पूरे हुए और न ही निवेशकों को तय समय पर उनका पैसा वापस मिल पाया. जुटाई गई रकम को एक होल्डिंग कंपनी में ट्रांसफर कर दिया गया और बाद में इसे फर्जी शेयर खरीद समझौते (Share Purchase Agreement) के ज़रिए निपटा दिया गया. इस समझौते में खरीदार ने वास्तव में कोई भुगतान नहीं किया था.
ऑडिट में भी वित्तीय गड़बड़ियों की पुष्टि
फोरेंसिक ऑडिट में भी बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियों की पुष्टि हुई है. कंपनी IRAL पिछले 7 वर्षों से कॉरपोरेट दिवालिया प्रक्रिया (CIRP) में है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. इससे पहले, 28 मई 2024 को ED ने 291.31 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की थीं, जिनमें जयपुर की ज़मीन और नोएडा का एक शॉपिंग मॉल शामिल था. इसके बाद 24 दिसंबर 2024 को 120.98 करोड़ रुपये की और संपत्तियां अटैच की गईं. दोनों अटैचमेंट्स को एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने पुष्टि कर दी थी. हालिया छापेमारी में ED को कई अहम सबूत मिले हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कई सीक्रेट बैंक अकाउंट्स
- डिजिटल डिवाइसेज़
- अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज़
ED का कहना है कि जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में निवेशकों के पैसों की हेराफेरी से जुड़ी और परतें उजागर हो सकती हैं.