इंटरनेशनल डिजिटल फ्रॉड गैंग का भंडाफोड़, मास्टरमाइंड समेत 10 गिरफ्तार; 50 करोड़ का किया स्कैम!

दिल्ली पुलिस ने एक बड़े International Digital Fraud गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 10 Cyber Crime आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यह गैंग WhatsApp Scam और Digital Arrest Scam के जरिए करोड़ों की ठगी कर रहा था. पुलिस जांच में 50 करोड़ से अधिक का संदिग्ध लेन‑देन सामने आया है.

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Cyber Crime Gang Arrested: दिल्ली के साउथ-ईस्ट जिले की शाहीन बाग थाना पुलिस ने एक बड़े इंटरनेशनल डिजिटल फ्रॉड और एक्सटॉर्शन गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस गैंग के 10 शातिर साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें मास्टरमाइंड भी शामिल है. पुलिस ने दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र (मुंबई), ओडिशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा समेत कुल 7 राज्यों में छापेमारी कर यह कार्रवाई की. हैरानी की बात यह है कि एक आरोपी को मुंबई एयरपोर्ट से उस वक्त दबोचा गया, जब वह दुबई भागने की फिराक में था.

जांच में सामने आया है कि इस गैंग से जुड़े खातों पर अब तक 66 शिकायतें दर्ज हैं और 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन संदिग्ध पाया गया है. वहीं, इस सिंडिकेट के दो आरोपी अभी भी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है.

पुलिस को कैसे मिला सुराग? 

एक लाख रुपये की ठगी से मिला सुराग 7 दिसंबर को शाहीन बाग निवासी तन्बीर अहमद ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने बताया कि व्हाट्सऐप वीडियो कॉल के जरिये कुछ लोगों ने खुद को कर्नाटक पुलिस का अफसर बताकर डराया-धमकाया. आरोपियों ने कहा कि उनके आधार और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल गंभीर अपराधों में हुआ है और इसी डर में उनसे करीब एक लाख रुपये ठग लिए गए. इसी शिकायत पर FIR दर्ज कर जांच शुरू की गई.

मामले की गंभीरता को देखते हुए शाहीन बाग थाने की एक खास टीम बनाई गई. पुलिस ने बैंक ट्रांजैक्शन, मोबाइल लोकेशन, तकनीकी सर्विलांस और जमीनी जांच के जरिये पूरे नेटवर्क को खंगाला. टीम ने ट्रेन, सड़क और हवाई सफर के जरिये आरोपियों की गतिविधियों को ट्रैक किया और दिल्ली रेलवे स्टेशन से लेकर मुंबई एयरपोर्ट तक दबिश देकर उन्हें पकड़ा. यह कार्रवाई डिजिटल फॉरेंसिक, इंटेलिजेंस और इंटर-स्टेट तालमेल का बेहतरीन उदाहरण है.

कौन हैं गिरफ्तार आरोपी और क्या था रोल?

पुलिस ने अब तक इस गैंग के 10 अहम सदस्यों को गिरफ्तार किया है...

  • धर्मेंद्र चौहान और सोमवीर सैनी: म्यूल अकाउंट जुटाने और ठगी की रकम निकालने में मदद करते थे. 
  • एमडी अहतेशामुल हक: खातों के जरिए पैसे घुमाने और अन्य आरोपियों से संपर्क का काम करता था. 
  • संतोष कुमार खंडाई: फर्जी सिम एक्टिवेशन और व्हाट्सऐप अकाउंट सेट-अप करता था. 
  • मुहम्मद बुगारी पीपी और मुहम्मद शाहिद टी: ठगी की रकम संभालने और डेबिट कार्ड/कम्युनिकेशन का काम देखते थे. 

कई आरोपी पहले भी साइबर फ्रॉड मामलों में शामिल रहे हैं, जिससे साफ है कि ये एक प्रोफेशनल साइबर क्रिमिनल नेटवर्क का हिस्सा हैं.

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ठगी का तरीका– डिजिटल अरेस्ट स्कैम

आरोपी लोगों को व्हाट्सऐप वीडियो कॉल कर खुद को पुलिस, CBI या अन्य सरकारी एजेंसी का अफसर बताते थे. फिर फर्जी केस, आधार के दुरुपयोग और गिरफ्तारी का डर दिखाकर पैसे ट्रांसफर करवाते थे. इसी डर और घबराहट का फायदा उठाकर लाखों-करोड़ों की ठगी की गई.

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पुलिस की बड़ी बरामदगी पुलिस ने आरोपियों से 10 मोबाइल फोन, कई डेबिट और क्रेडिट कार्ड, व्हाट्सऐप चैट, वॉयस नोट्स और बैंक ट्रांजैक्शन से जुड़ा डिजिटल सबूत, एक बलेनो कार बरामद की है.

पुलिस की अपील

दिल्ली पुलिस ने जनता से अपील की है कि किसी भी डिजिटल अरेस्ट कॉल से सावधान रहें. कोई भी पुलिस, कोर्ट, CBI या ED फोन या व्हाट्सऐप पर गिरफ्तारी नहीं करती. पुलिस कभी पैसे नहीं मांगती. ऐसी कॉल आए तो घबराएं नहीं, कॉल काटें और तुरंत 1930 पर फोन करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें. पुलिस का कहना है कि जागरूक नागरिक ही साइबर अपराध के खिलाफ सबसे बड़ी ताकत है.

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