ईडी ने किया अमेरिकी नागरिकों को फर्जी 'कस्टमर केयर' बनकर ठगने वाले नेटवर्क का भंडाफोड़

ठग पहले फर्जी पॉप-अप मैसेज भेजते थे, जो असली सिस्टम एरर जैसा लगता था. उसमें एक फोन नंबर दिया जाता था, जिसे कॉल करने पर व्यक्ति सीधे फर्जी टेक सपोर्ट कॉल सेंटर से जुड़ जाता था.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

प्रवर्तन निदेशालय  ने सोमवार को दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, हरियाणा और मुंबई में फैले 15 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. यह कार्रवाई उस टेक सपोर्ट स्कैम से जुड़ी है, जिसमें भारत से संचालित कॉल सेंटरों के ज़रिए अमेरिकी नागरिकों से करोड़ों रुपये की ऑनलाइन ठगी की जा रही थी. यह जांच PMLA  के तहत चल रही है और इसकी शुरुआत दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज कई FIRs के आधार पर हुई थी. इन FIRs में करण वर्मा और अन्य के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

जांच में सामने आया है कि ठगों का गिरोह दिल्ली के रोहिणी, पश्चिम विहार और राजौरी गार्डन जैसे इलाकों में कई अवैध कॉल सेंटर चला रहा था. ये लोग खुद को माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, चार्ल्स श्वाब फाइनेंशियल सर्विसेज जैसी नामी कंपनियों के टेक सपोर्ट या पुलिस अधिकारी बताकर विदेशी नागरिकों को झांसे में लेते थे.

उनका मुख्य हथियार था BSOD (Blue Screen of Death) यानी कंप्यूटर की “ब्लू स्क्रीन एरर”. ठग पहले फर्जी पॉप-अप मैसेज भेजते थे, जो असली सिस्टम एरर जैसा लगता था. उसमें एक फोन नंबर दिया जाता था, जिसे कॉल करने पर व्यक्ति सीधे फर्जी टेक सपोर्ट कॉल सेंटर से जुड़ जाता था. इसके बाद पीड़ितों को यह कहकर डराया-धमकाया जाता था कि उनका सिस्टम हैक हो गया है या उनका बैंक डेटा खतरे में है और फिर उनसे “सर्विस चार्ज” के नाम पर पैसे वसूले जाते थे. ईडी की जांच में पता चला है कि ठगे गए पैसों को क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड्स में बदल दिया जाता था। बाद में यह रकम हवाला चैनलों के ज़रिए भारत में मौजूद ठगों तक पहुंचाई जाती थी. जांच से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इन अपराधियों के क्रिप्टो वॉलेट्स में लाखों अमेरिकी डॉलर के लेनदेन पाए गए हैं.

छापेमारी के दौरान ईडी को दिल्ली में एक और अवैध कॉल सेंटर का पता चला, जिसे भी इन्हीं ठगों द्वारा चलाया जा रहा था। यहां से भी विदेशी नागरिकों को “फर्जी तकनीकी सहायता” के नाम पर ठगा जा रहा था. फिलहाल ईडी की तलाशी कार्रवाई जारी है और एजेंसी ने कहा है कि पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश होने तक जांच जारी रहेगी.

Topics mentioned in this article