मैं ईडी अधिकारी... दिल्ली में बुजुर्ग महिला को किया डिजिटल अरेस्ट, फिर ऐंठ लिए 1.16 करोड़ रुपये

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान बिहार के नालंदा जिला निवासी प्रभाकर कुमार (27), बिहार के वैशाली जिला निवासी रूपेश कुमार सिंह (37) और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला निवासी देव राज (46) के रूप में हुई है.

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  • दिल्ली पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में 3 लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने बुजुर्ग महिला से 1.16 करोड़ रुपये ठगे
  • आरोपियों ने फर्जी गिरफ्तारी आदेश दिखाकर बुजुर्ग महिला को बैंक जाकर पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया
  • ठगी की गई राशि का अधिकांश हिस्सा हिमाचल प्रदेश के एक एनजीओ के खाते में जमा किया गया था, जो बिहार से संचालित था
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नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस ने एक बुजुर्ग महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट' करने के बाद उससे 1.16 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में साइबर धोखाधड़ी में शामिल संगठित गिरोह के तीन कथित सदस्यों को गिरफ्तार किया है. दक्षिणी दिल्ली निवासी पीड़िता के पति एक सरकारी कर्मचारी थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है और उनकी एक बेटी विदेश में रहती है.

पुलिस उपायुक्त (अपराध) आदित्य गौतम ने कहा, "25 अप्रैल को आरोपी द्वारा खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताते हुए एक वीडियो कॉल के दौरान उसे (पीड़िता को) फर्जी गिरफ्तारी आदेश दिखाया. दबाव बनाकर और कानूनी कार्रवाई की धमकी के देकर बुजुर्ग महिला को बैंक जाने और आरटीजीएस के माध्यम से कुल 1.16 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया."

जांच के दौरान, पुलिस को पता चला कि ठगी गई रकम का एक बड़ा हिस्सा करीब 1.10 करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश स्थित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के चालू खाते में जमा किया गया था. हालांकि, यह खाता बिहार के पटना से जालसाजों द्वारा कथित तौर पर संचालित किया जा रहा था.

पुलिस ने कहा कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर इसी बैंक खाते के खिलाफ 32 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिसमें कुल मिलाकर लगभग 24 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी शामिल है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच के तहत हिमाचल प्रदेश और बिहार में कई छापेमारी की गई, जिससे तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई.

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान बिहार के नालंदा जिला निवासी प्रभाकर कुमार (27), बिहार के वैशाली जिला निवासी रूपेश कुमार सिंह (37) और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला निवासी देव राज (46) के रूप में हुई है. धोखाधड़ी की गई कुल राशि में से 17 लाख रुपये पीड़िता को लौटा दिए गए, जबकि शेष राशि की वसूली के प्रयास जारी हैं.

पुलिस ने बताया कि प्रभाकर कुमार ने देव राज के मोबाइल फोन पर एक एपीके फाइल इंस्टॉल की, जिससे धोखाधड़ी वाले बैंक खातों से जुड़े सिम कार्ड सक्रिय हो गए. वह इंटरनेट-आधारित वर्चुअल नंबरों के माध्यम से साइबर ठगों से कथित तौर पर लगातार संपर्क में रहा, नकद कमीशन प्राप्त किया, सहयोगियों के बीच आय वितरित की और अपनी भूमिका के लिए पर्याप्त हिस्सा हासिल किया.

रूपेश कुमार सिंह ने कथित तौर पर डाक वितरण के माध्यम से बैंक खाता किट प्राप्त की और पटना में सह-आरोपियों की समन्वित बैठकें कीं.

पुलिस ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में एक एनजीओ चलाने वाले देव राज ने अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता अपने पिता वेद प्रकाश की मिलीभगत से एनजीओ के नाम पर कथित तौर पर एक चालू खाता खोला. पैसों के लिए उन्होंने खाता बिहार में रूपेश कुमार को सौंप दिया. देव राज ने इंटरनेट बैंकिंग संबंधी जानकारी और ओटीपी कथित तौर पर साझा किए, लेनदेन को अंजाम देने के लिए पटना की यात्रा की और धोखाधड़ी से अर्जित आय से कमीशन प्राप्त किया.

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