क्रिकेट जगत हैरान है और अवाक है. रविवार की सुबह आयी, तो कंगारू पूर्व क्रिकेटर एंड्र्यू सायमंड्स की मौत की खबर लेकर आयी. सुबह-सुबह करोड़ों फैंस को एक बार को विश्वास नहीं हुआ कि यह सच है! लेकिन सच यही है कि काल ने क्रिकेट को समय से काफी पहले कुछ ऐसे ही छीन लिया, जैसे चंद दिन पहले ही शेन वॉर्न को छीन लिया था. सायमंड्य को हमेशा ही क्रिकेट जगत एक ऐसे बल्लेबाज के रूप में याद रखेगा, जो वनडे क्रिकेट में दिन विशेष पर सामने वाली टीम से अपने बूते मैच छीन लेता था. और जिसके स्ट्रोक सम्मोहित करने वाले होते थे. अब जब सायमंड्स हमारे बीच नहीं हैं, तो हम आपके लिए लेकर आए हैं उनकी पांच वे बेहतरीन पारियां, जिन्हें आज भी क्रिकेट जगत याद करता है.
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5. पहले ही टेस्ट में आलोचकों को करारा जवाब
साल 2005 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ करियर के अपने पहले टेस्ट मैच की पहली पारी में सायमंड्स खाता भी नहीं खोल सके थे. इससे उनके आलोचक यह कहते हुए सिर पर सवार हो गए कि वह अपने वनडे कौशल को कभी भी टेस्ट में तब्दील नहीं कर पाएंगे. लेकिन तब मीडियम पेस करने वाले सायमंड्स ने इन लोगों को जवाब देते हुए 50 रन देकर तीन विकेट लिए. वहीं, दूसरी पारी में सायमंड्स ने 54 गेंदों पर 72 रन की पारी खेली. 6 छक्कों के साथ और इसी के साथ ही ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम का हिस्सा बन गए.
4. जब श्रीलंका की लंका लगा दी (एससीजी, फरवरी 2006)
इस साल वीबी सीरीज में श्रीलंका की टी 1-0 से आगे थी. एक समय ऑस्ट्रेलिया पर व्हाइटवॉश का खतरा मंडरा रहा था, जब मेजबान ने तीसरे ही ओवर में 10 रन पर 3 विकेट गंवा दिए थे. यहां से सायमंड्स ने कप्तान रिकी पोंटिंग (124) के साथ मिलकर लंकाई गेंदबाजों की लंका लगा दी. सायमंड्स ने सिर्फ 127 गेंदों पर 151 रन बनाए. इसमें तीन छक्के थे और इससे ऑस्ट्रेलिया ने 5 विकेट पर 368 का स्कोर खड़ा किया और लंकाई इस स्कोर के आस-पास भी नहीं पहुंच सके. सायमंड्स ने दो विकेट भी लिए और मैन ऑफ द मैच भी बने.
3. भारत के खिलाफ दिखाया रौद्र रूप (सिडनी, जनवरी 2008)
यह बेहतरीन पारी सायंड्स ने भारत के खिलाफ खेली, जो विवादों के कारण छिप गयी. यह कंगारू बल्लेबाज टीम इंडिया के खिलाफ तब खेलने उतरा, जब मेजबानों का स्कोर 6 विकेट पर 134 रन हो गया था. और भारत बहुत ही बेकरार था कि कंगारू टीम किसी भी तरह लगातार 16 टेस्ट मैच जीतने की बराबरी नहीं ही कर सके. पारी में संदेह के कारण विकेट के पीछे कैच आउट का लाभ लेने में सफल रहे सायमंड्स ने मौके को दोनों हाथों से भुनाया. उन्होंने एक यादगार पारी खेली. सायमंड्स ने नाबाद 162 रन बनाए. यह उनका दूसरा और आखिरी टेस्ट शतक था और इसने ऑस्ट्रेलिया को क्रिकेट इतिहास की सबसे नाटकीय में से एक जीत दिला दी. और भारत की कंगारुओं को रिकॉर्ड से रोकने की तमन्ना दिल में दबी रह गयी.
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2. इंग्लैंड को पहले शतक से नानी याद दिला दी (एमसीजी, दिसंबर 2006)
जब एशेज में व्हाइट वॉश के बाद डैमियन मार्टिन ने अचानक से क्रिकेट को अलविदा कहा, तो इससे सायमंड्स को टेस्ट टीम में आने का मौका मिल गया. सायमंड्स ने यहां जलवा बिखेरते हुए एमसीजी में छक्के के साथ अपना पहला टेस्ट शतक पूरा किया. साथ ही, ऑस्ट्रेलिया को संकट के समय से भी निकाला. सायमंड्स ने ऐसे समय शतक जड़ा, जब ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 5 विकेट पर 84 रन था. ऐसे समय सायमड्स ने काउंटर अटैक करते हुए अंग्रजों को नानी याद दिला दी. सायमंड्स ने 156 रन बनाए और हेडेन (153) के साथ मिलकर छठे विकेट के लिए 279 रन जोड़े.
1. दुनिया को दिया अपना शानदार परिचय (न्यू वांडरर्स, फरवरी 2003)
यह पाकिस्तान के खिलाफ सायमंड्स की नाबाद 143 रनों की एक ऐसी बेहतरीन पारी थी, जिसके जरिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपना नए अंदाज में परिचय दिया. हालांकि, सायमंड्स का वनडे करियर साल 1998 में शुरू हुआ, लेकिन यह फिफ्टी-फिफ्टी विश्व कप ही था, जिससे उन्होंने अपना वास्तविक परिचय दुनिया को तहते हुए खुद को स्थापित करने की शुरुआत की. यह साल 2003 विश्व कप का समय था और शेन वॉर्न के टूर्नामेंट से बाहर होने से कंगारू टूटे हुए थे. ऐसे में टीम को किसी टॉनिक की दरकार थी, जो सायमंड्स से मिला और उन्होंने न्यू वांडरर्स में यह टॉनिक टीम को दिया, तो ऑस्ट्रेलिया को वह लय मिली, जो टीम के विश्व कप जीतने की लय बन गयी. सायंड्स के चयन पर खासी बहस हुई थी क्योंकि पिछली सात पारियों में उनके बल्ले से 69 रन ही निकले थे. लेकिन सायमंड्स ने ऐसे समय यह पारी खेली, जब टीम का स्कोर 4 विकेट पर 86 रन था. सायमंड्स ने 125 गेंदों पर नाबाद 143 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट पर 310 का स्कोर देने के साथ ही ऐसी लय भी दे दी, जो उसके विश्व कप जीतने के साथ ही खत्म हुयी.